Friday, October 23, 2020

Sahaja Yogis represent Shri Mataji - Hindi Article

 आपको जानना चाहिए कि आप मेरा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं,मेरे कुछ गुणों को अपने अन्दर स्थापित करने की कोशिश कीजिये।आपको सबुरी दिखानी होगी।इसके लिए सबसे अच्छा साधन हैं की आप प्रार्थना करें।सहजयोगीयों के लिए प्रार्थना करना बहुत महत्वपूर्ण है।हृदय से प्रार्थना कीजिये।

१)सबसे पहले आपको शक्ति मांगनी है-श्री माताजी मुझे शक्ति प्रदान कीजिये,जिससे में वास्तविक बन सकूँ।में अपने आपको धोका न दे सकूँ।श्री माताजी मुझे स्वयं को देखने की शक्ति प्रदान कीजिये।ऐसा पूर्ण हृदय से कहिये की में स्वयं को सुधारने(परिवर्तन करने) कि पूर्ण कोशिश करूँगा।ये सभी कमियां आपके स्वयं कि नहीं हैं,ये सब बाहर में हैं और ये सभी बाहर चली जायेंगी तो आप ठीक हो जायेंगे।

२)अब आप क्षमा के लिए प्रार्थना करें और कहें कि श्री माताजी मुझे क्षमा कर दीजिये,क्योंकि में अज्ञानी हूँ,मुझे पता नहीं हैं कि मुझे क्या करना हैं,इसलिए श्री माताजी मुझे क्षमा कर दीजिये।

३)सबसे पहली चीज हैं क्षमा प्रार्थना और दुसरी चीज है मधुर वाणी का मांगना।श्री माताजी मुझे मधुर वाणी प्रदान कीजिये।श्री माताजी मुझे एसी प्रेरणा दीजिये जिससे में दुसरो के लिए आदान-प्रदान का माध्यम बन सकूँ,दुसरे मेरी इज्जत करें,मुझे पसंद करें और मेरी उपस्थिति को पसंद करें। 

४)श्री माताजी मुझे शक्ति प्रदान कीजिये,श्री माताजी मुझे प्रेम दीजिये,श्री माताजी मुझे प्रकृति की सुन्दरता प्रदान कीजिये,श्री माताजी  मुझे सूझ-बुझ की सुन्दरता प्रदान कीजिये।श्री माताजी मुझे मेरी आत्मा की सुरक्षा प्रदान कीजिये जिससे में स्वयं को असुरक्षित महसूस न करूँ,जिससे दूसरों को मेरी वजह से दिक्कत ना हो।श्री माताजी मुझे आत्मसन्मान प्रदान कीजिये,जिससे में स्वयं को छोटा न महसूस करूँ,और दुसरे मुझे छोटा न समझें।श्री माताजी मुझे शक्ति प्रदान कीजिये जिससे मुझमें साक्षीभाव आये।

५ )श्री माताजी मुझे संतुष्ट कर दीजिये,में जो भी हूँ,मेरे पास जो कुछ भी हैं,में जो भी खाता हूँ,उन सभी से में संतुष्ट रहूँ।मेरे चित्त को इन सभी चीजों से बहार क्र दीजिये।(अगर आपका चित्त आपके पेट पर है तो आपको लीवर समस्या हो जाएगी चाहें आप कुछ भी करें) ।अगर मेरा चित्त एसी चीजों में भटकता हैं तो श्री माताजी मुझे मेरे चित्त को वापस लाने की शक्ति प्रदान कर दीजिये।में एसी वस्तुओं में फंसने से बच सकूँ जो मेरे चित्त को अपनी और खींचती हैं।श्री माताजी कृपया मुझे चित्त-निरोध शक्ति प्रदान करें।

६)श्री माताजी कृपया मेरे विचारों को रोक दीजियें।मुझे साक्षी भाव प्रदान कीजिये,जिससे में यह नाटक देख सकूँ।में कभीभी किसीकी बुराई न करूँ ना ही किसीको निचा दिखाओं में देख सकूँ के दुसरे व्यक्ति मुझसे खुश क्यों नही हैं।श्री माताजी कृपया मुझे शक्ति दीजिये जिससे मेरी वाणी मधुर हों,मेरी प्रकृति मधुर हो,जिससे दुसरें लोग मुझे पसंद करें और मेरे साथ रहकर आनंद उठाये।आपको हृदय से प्रार्थना करनी होगी।

७)श्री माताजी मुझे फूल की तरह बना दीजिये,काटें की तरह नहीं।आपको हृदय से प्रार्थना करनी होगी।यह सभी प्रार्थना आपको मदद करेंगी।उसके बाद सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना करनी होगी कि श्री माताजी मुझे अहंकार से दूर कर दीजिये,जो मुझे यह विचार देता हैं कि में दूसरों से बड़ा हूँ।

८)श्री माताजी कृपया  मुझे एसी नम्रता प्रदान कर दिजिये जिससे में दूसरों के हृदय को जित सकूँ।आप सिर्फ अपना सिर झुकाइए और सीधा हृदय की और जायेगा।जैसे ही आप अपना सिर सिर झुकायेंगे,वहीं पर हृदय है जहाँ आत्मा का वास हैं।आत्मा के साथ जुड़ जाइए।

९)इस बात को समझने की कोशिश करिए की इन बुराइयों को चलें जाना बहुत जरुरी हैं।उपरोक्त बातों(बुराइयों) से बचने के लिए हमें प्रार्थना करनी हैं और सहायता मांगनी है।हृदय से प्रार्थना करना बहुत बड़ी बात हैं।

१०)हे परमात्मा हमें इतनी शक्ति प्रदान कीजिये कि मैं हमेशा अपनी माँ को प्रसन्न रख सकूँ।मैं अपनी माँ को खुश करना चाहता हूँ।मैं अपनी माँ कप खुश करना चाहता हूँ।

एक ही चीज़ मुझे ख़ुशी दे सकती है कि जैसा प्यार मैंने आपसे किया है,वही प्यार आप एक दुसरे से करें 

                            


                               -श्री माताजी निर्मला देवी

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