Wednesday, June 24, 2020

Prayer Should Be From The Heart - Sahaja Yoga

“एक पूजा या प्रार्थना की वृद्धि आपके हृदय से होती हैं। मंत्र आपकी कुण्डलिनी के शब्द हैं (अर्थात शब्द जो शक्ति से संबंधित हें, मंत्र हैं) लेकिन पूजा अगर हृदय से नहीं की गई या मंत्रो के शब्दों के साथ कुण्डलिनी नहीं संबंधित हैं तो वह पूजा सिर्फ एक कर्मकाण्ड ही हे। 

सबसे अच्छा है कि पूजा हृदय में की जाए। पूजा के समय मंत्रों को बहुत श्रद्धा के साथ कहा जाना चाहिए (अर्थात्‌ मंत्र उच्चारण के हर शब्द पर साथ साथ चित्त की दृष्टि भी होनी चाहिए, जेसे चित्त ही बोल रहा हो)।

 पूजा उस समय करें जब श्रद्धा गहरी हो जाये जिससे हृदय द्वारा पूजा पूरित हो उस समय आनन्द की लहरियाँ बहना शुरू हो जाती हैं क्योंकि तब आत्मा ही सब कुछ कह रहा होता हैं (अर्थात्‌ तब मंत्र आत्मा के ही शब्द होते हें)




प.पू.श्री माताजी निर्मलादेवी





Miracle experience of Sahaja Yoga - Newcomer Akansha

मेरा नाम आकांक्षा है और मैं सेंट्रल इंडिया से हूं।


अच्छी खासी हंसती खेलती जिंदगी मैं अचानक एक बम फूटता है और मुझे पता चलता है कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है, लगा मानो जिंदगी अब खत्म सी हो गई है। मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी।

तभी मेरे किसी परिचित ने मुझे फुट सोकिंग के बारे में बताया। बिना कुछ सोचे समझे मैंने खुद स्टार्ट कर दिया और तब मैंने पहली बार सहज योग और परम पूज्य माताश्री निर्मला देवी जी के बारे में जाना। 

मेरे मन में माताश्री के प्रति जिज्ञासा और प्यार बढ़ने लगा । अब मुझे रोते हुए 10 से 12 दिन हो गए थे, एक दिन मैंने किसी सहजयोगी को फोन किया और अपनी दुख भरी दास्तान उन्हें सुनाई और खूब रोई, इस पर उन्होंने मुझे गाइड किया  कि  at your Lotus feet online meditation start hone ja raha hai aap चाहे तो वह कर ले और रोते हुए at your Lotus feet online meditation start kar diya।

यह मेडिटेशन मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लिए ही हो रहा है और मैं डूबती चली गई  और यही मेडिटेशन मेरी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट बन गया। अब इस मैडिटेशन के बाद मैं बिल्कुल बदल चुकी थी, मुझ में अजीब सी पॉजिटिविटी थी, मेरा रोना बिल्कुल बंद हो चुका था और इस बात का एहसास मुझे दूसरे दिन हुआ जब मैं पूरी रात 15 दिन बाद सोई थी, एक अजीब सा एहसास था कि कोई मेरे साथ है और जो मुझे इसमें से निकाल देगा। 

मेरे मन में इच्छा हुई कि मुझे माताश्री का एक फोटो मिल जाए, तो मैं उन्हें अपने घर में विराजमान करूं। मगर लॉक डाउन होने की वजह से माताश्री का फोटो नहीं मिल पा रहा था, मैं बहुत उदास थी, तभी मैंने इंटरनेट पर दिल्ली सहज योग टोल फ्री नंबर देखा और फोन लगा दिया, शाम का वक्त था और उनसे रिक्वेस्ट की, कि मुझे माताश्री का एक फोटो मिल जाए, दूसरे दिन ऐसा चमत्कार हुआ कि हमारे ही घर के सामने रहने वाले सहजयोगी भाई का फोन आया कि वह माताश्री का फोटो 15 मिनट में ला रहे हैं यह सब एक मिरेकल जैसा लगा। मेरी खुशी का ठिकाना न रहा और फिर मैं माताश्री को घर में विराजमान कर पाई। 

मैं दिन में तीन चार बार foot soaking aur online meditation karne lagi। बस मुझे एक विश्वास था कि जिंदगी में अब कभी मेरे साथ कुछ भी गलत नहीं होगा, मैं हमेशा अपने आपको  secured and protected samajhne lagi। 

अब मेरे प्री ऑपरेटिव टेस्ट होना चालू हुए, पर एक विश्वास के साथ मै हमेशा जाती थी, कि मेरे सारे टेस्ट्स की रिपोर्ट अब नेगेटिव आएगी और यही हुआ, माताश्री हमेशा मेरे साथ रहे। 

माताश्री की कृपा से मेरा छोटा सा ऑपरेशन हुआ और डॉक्टर ने वह छोटी सी गांठ निकाल दी। जिस डॉक्टर ने मुझे कहा था 6 से 8 कीमो लगेंगे उन्हीं डॉक्टर  ने अब मुझसे कहा कि शायद आपको कीमो की जरूरत नहीं पड़ेगी, यह सब माताश्री की ही ब्लेसिंग है।

अब ऐसा लगता है कि अगर मुझे कैंसर ना हुआ होता तो शायद मुझे परम पूज्य माताश्री निर्मला देवी जी और सहज योग नहीं मिल पाता। अब लगता है हर पल हर क्षण माताश्री मेरे साथ हैं, अब डर भी नहीं लगता है, मैं हर पल मां को बार बार धन्यवाद देती हूं।

मैं बहुत खुश हूं कि मुझे सहज योग मिला और अब मैं अपने इस आनंद का एहसास हर किसी इंसान के साथ बांटना चाहती हूं।

मैं परम पूज्य माताश्री निर्मला देवी जी को कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं और धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे सहज योग से जोड़ा। माताश्री अपनी कृपा हमेशा हम सब पर बनाए रखें।

Tuesday, June 23, 2020

Sahaja Yoga Beginings - Hindi Article

सहजयोग ध्यान पद्धति


विश्व भर में अनेकों प्रकार की ध्यान की पद्धतियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक है सहजयोग ध्यान पद्धति। जैसा कि इसके नाम .... सहजयोग से ही ज्ञात होता है कि ये एक अत्यंत सरल ध्यान धारणा की विधि है। 

इस ध्यान की विधि की खोज श्रीमाताजी निर्मला देवी ने गुजरात राज्य के नारगोल नामक स्थान पर समुद्र तट पर 5 मई 1970 को विश्व का सहस्त्रार खोल कर की थी।



इस अद्भुत और अलौकिक घटना के बाद ही सामूहिक रूप से जन-जन की कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जाने लगा।

 इससे पूर्व प्राचीन काल में लोग भले ही कुंडलिनी जागरण के बारे में जानते थे परंतु उन दिनों में एक गुरू केवल एक ही शिष्य की कुंडलिनी को जागृत करता था। 

इसके अतिरिक्त साधक जंगलों में जाकर वर्षों तक तपस्या करके अपने चक्रों का शुद्धीकरण करके भी अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया करते थे। 

गीता के छठे अध्याय में श्रीकृष्ण ने भी कुंडलिनी शक्ति का विवरण दिया है, परंतु उस समय कुंडलिनी को जागृत करने की विधा किसी को भी ज्ञात न थी, अतः समाज के धर्म मार्तंडों ने गीता के छठे अध्याय को पढ़ना ही वर्जित कर दिया। 

संत ज्ञानेश्वर जी


इसके बाद संत ज्ञानेश्वर जी ने अपने गुरू और बड़े भाई संत श्री नेमिनाथ जी से कुंडलनी के ज्ञान को सार्वजनिक रूप से बताने की आज्ञा मांगी और ज्ञानेश्वरी नाम के ग्रंथ की रचना की। 

ज्ञानेश्वरी वास्तव में संत ज्ञानेश्वर द्वारा गीता पर लिखा गया भाष्य या विश्लेषण है, जिसमें उन्होंने योग और कुंडलिनी पर विस्तार से लिखा है। 

इसके विपरीत सहजयोग में परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी की असीम कृपा से श्रीमाताजी के चित्र को सामने रख कर प्रार्थना करने मात्र से ही तत्क्षण कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जा सकता है। 

एक बार जब हमारी कुंडलिनी जागृत हो जाती है तो ध्यान धारणा के माध्यम से शनैः शनैः साधक अपने चक्रों का शुद्धीकरण कर सकता है। 

इसका अर्थ है कि पहले कुंडलिनी को जागृत कर बाद में शुद्धीकरण की क्रियायें की जाती हैं, जबकि पूर्व में चक्रों का शुद्धीकरण पहले और तत्पश्चात कुंडलिनी का जागरण किया जाता था जो एक लंबी प्रक्रिया थी। 

छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू संत श्री रामदास स्वामी ने भी कहा था कि कुंडलिनी का जागरण तत्क्षण किया जा सकता है, बस देने वाला योग्य गुरू और एक सत्य का साधक अर्थात लेने वाला होना चाहिये। 

सहजयोग शब्द की उत्पति 

सहज शब्द संस्कृत के दो शब्दों को जोड़ कर बना है, ‘सह’ और 'ज'। सह का अर्थ है ‘साथ’ और ‘ज’ का अर्थ है ‘जन्मा हुआ’ अर्थात आपके साथ जन्मा हुआ तंत्र । 

योग से तात्पर्य आत्मा का परमात्मा से मिलन या जुड़ना है। 

अत: सहजयोग वह तरीका है जिसमें मनुष्य की आत्मा का परमात्मा से योग होता है।  मानव शरीर में जन्म से ही कम्प्यूटर के समान एक सूक्ष्म प्रणाली अदृश्य रूप में हमारे अन्दर स्थित होती है, जिससे हम अपने योग घटित होने तक अनजान ही होते हैं।

 इस सूक्ष्म तन्त्र के अंतर्गत आध्यात्मिक भाषा में मुख्य रूप से सात चक्र, तीन नाड़ियाँ एवं एक अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा होती है। 

इन तीन नाड़ियों को इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना के नाम से जाना जाता है। 

इसके अतिरिक्त परमात्मा के प्रतिबिंब के रूप में कुण्डलिनी नाम की शक्ति मानव शरीर की रीढ़ की हड्डी की अंतिम अस्थि (सैक्रम बोन) में स्थित होती है, जिसको कोई भी योग्य गुरू सरलता से जागृत कर सकता है। 

श्री आदिशंकराचार्य जी

श्री आदिशंकराचार्य जी ने तो अपने सुंदर काव्य सौंदर्य लहरी में यहाँ तक कहा कि कुंडलिनी को भगवती आध्याशक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई भी जागृत नहीं कर सकता है।

 यही कारण है कि विश्व भर के सहजयोगी श्रीमाताजी निर्मला देवी को भगवती आदिशक्ति के अवतरण के रूप में पूजते हैं।

Benefits of Sahaja Yoga Meditation - Hindi Article

सहजयोग ध्यान के 100 लाभः


(पवन प्रभाकर जी द्वारा अंग्रेजी में भेजी गई पोस्ट का हिंदी अऩुवाद)

मनोवैज्ञानिक लाभः

1. इससे शरीर में औक्सीजन की खपत कम हो जाती है।
2. इससे श्वसन प्रक्रिया की दर में कमी आ जाती है।
3. इससे रक्त संचार में बृद्धि हो जाती है और दिल की धड़कन की दर
भी कम हो जाती है।
4. इससे व्यायाम करने की क्षमता बढ़ जाती है।
5. शारीरिक विश्राम का स्तर बढ़ जाता है।
6. उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिये अत्यंत लाभदायक है।
7. रक्त में लैक्टेट की कमी के कारण एंग्जाइटी या उद्विग्नता कम हो जाती है।
8. मांसपेशियों के तनाव में कमी आ जाती है।
9. गठिया या एलर्जी जैसे पुराने रोगों में आरामदायक है।
11. औपरेशन के बाद होने वाली परेशानियों में कमी आ जाती है।
12. रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ा देता है।
13. वाइरस की गतिविधियों औरभावनात्मक परेशानियों को कम कर देता है।
14. ऊर्जा, शक्ति और जोश को बढ़ा देता है।
15. वजन बढ़ाने में सहायता करता है।
16. फ्री रेडिकल में कमी आ जाती है और टिश्यू कम नष्ट होता है।
17. त्वचा की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है।
18. कोलेस्ट्रौल के स्तर में कमी आ जाती है और कार्डियोवैस्कुलर रोगों के खतरों में कमी आ जाती है।
19. फेफड़ों में वायु का प्रवाह बढ़ जाता है और सांस लेने में सरलता हो जाती है।
20. आयु वृद्धि की प्रक्रिया में कमी आ जाती है।
21. DHEAS (Dehydroepiandrosterone)के स्तर में कमी आ जाती है।
22. जीर्ण रोगों में होने वाले दर्द में कमी आ जाती है।
23. पसीना कम आता है।
24. सिरदर्द और माइग्रेन ठीक हो जाता है।
25. मस्तिष्क की कार्यशैली व्यवस्थित हो जाती है।
26. अधिक दवाओं आदि की जरूरत नहीं रह जाती है।
27. ऊर्जा की कम खपत होती है।
28. खेल आदि गतिविधियों मेंमन लगने लगता है।
29. कम ऊर्जा की खपत होती है।
30. अस्थमा या दमा रोग में लाभ होता है।
31. खेल कूद संबंधी गतिविधियों में क्षमता सेअधिक सफलता प्राप्त होती है।
32. आपका वजन यथोचित रहता है।
33. हमारी अंतस्त्रावी प्रणाली को ठीक करता है।
34. हमारे तंत्रिका तंत्र को ठीक रखता है।
35. मस्तिष्क की विध्युत तरंगों की गतिविधि में स्थाई एवं लाभकारी परिवर्तन आने लगते हैं।
36. बांझपन ठीक हो जाता है ( बांझपन से होने वाले तनाव से नियमित डिंबोत्सर्जन में सहायक हार्मोन्स प्रभावी हो जाते है।
37. आत्मविश्वास में वृद्धि होने लगती है।
38. सेरिटोनिन का स्तर बढ़ जाता है जो व्यवहार व मानसिक अवस्था को प्रभावित करता है।
39. डर व भय आदि को समाप्त करदेता है।
40. अपने विचारों पर नियंत्रण होने लगता है।
41. ध्यान केंद्रित करने में व मन को एकाग्र करने में सहायता करता है।
42. सृजनात्मकता में वृद्धि होती है।
43. मस्तिष्क की तरंगों की संबद्धता में वृद्धि होनेलगती है।
44. नवजीवन का संचार होता प्रतीत होता है।
45. स्मृति और सीखने की क्षमता में सुधार होने लगता है।
46. भावनात्मक स्थायित्व सुधरने लगता है।
47. आपसी संबंधों में सुधारआने लगता है। मानसिक आयु बढ़ने की गति भी धीमी हो जाती है।
48. बुरी आदतें स्वयमेव छूटजाती हैं।
49. अंतर्ज्ञान या intuition विकसित होने लगता है।
50. उत्पादकता में वृद्धि होने लगती है।
51. घर या कार्यस्थल पर आपसी संबंधों में सुधार आने लगता है।
52. किसी भी परिस्थिति से निपटने में दृष्टिकोण मेंव्यापकता आ जाती है।
53. व्यर्थ के मुद्दों की अनदेखी करना आ जाता है।
54. जटिल समस्याओं का समाधान करना आ जाता है।
55. चरित्र में शुद्धता आ जाती है।
56. इच्छाशक्ति में वृद्धि हो जाती है।
57. मस्तिष्क के दोनों गोलार्धों के बीच संवाद में वृद्धि हो जाती है या उनमें सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
58. किसी भी तनावपूर्ण स्थिति में तीव्रता और प्रभावपूर्ण ढंग से प्रतिक्रिया करना आ जाता है।
59. व्यक्ति की अवधारणात्मक क्षमता व गत्यात्मक कार्यनिष्पादन में वृद्धि होती है।
60. बुद्धि विकास की दर बढ़ जाती है।
61. अपने कार्य से संतुष्टि( job satisfaction) मिलती है।
62. अपने प्रिय लोगों के साथ संबंधों में मधुरता में वृद्धि होती है।
63. संभावित मानसिक रोगों में कमी आती है।
64. सामाजिक व्यवहार में सुधार आने लगता है।
65. व्यवहार की उग्रता में भी कमी आती है।
66. धूम्रपान व मदिरापान कीआदत कम करने में सहायक है।
67. दवाओं पर निर्भरता कम हो जाती है और उनकी जरूरत भी कम
पड़ती है।
68. नींद की कमी से उबरने के लिये अधिक नींद की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
69. नींद आने के लिये कम समय की आवश्यकता पड़ती है।
70. उत्तरदायित्व की भावना में वृद्धि होती है।
71. सड़क चलते लड़ाई झगड़े कम होते हैं।
72. व्यर्थ के विचारों में कमी आती है।
73. चिंता करने की प्रवृत्ति में कमी आती है।
74. सुनने की क्षमता में वृद्धि होती है और लोगों के प्रति हमदर्दी में वृद्धि भी
होती है।
75. सहनशक्ति में वृद्धि होती है।
76. सही निर्णय करने में सहायक होता है।
77. रचनात्मक तरीके से कार्य करने के लिए मानसिक संतुलन देता है।
78. व्यक्तित्व को संतुलन प्रदान करता है।
79. भावनात्मक परिपक्वता देता है।

ध्यान से आध्यात्मिक लाभः

80. चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद करता है।
81. मन को शांति और प्रसन्नता प्रदान करता है।
82. आपको अपने जीवन का उद्देश्य मालूम होने लगताहै।
83. स्व-यथार्थीकरण में वृद्धि होती है।
84. दूसरों के लिये करूणा में वृद्धि होती है।
85. विवेक में वृद्धि होती है।
86. अपने व दूसरों के विषय में गहन समझ विकसित होती है।
87. शरीर, मन और आत्मा को एकरूप करता है।
88. क्षमा की शक्ति में वृद्धि होती है।
89. स्वयं को स्वीकार करने की शक्ति बढ़ती है।
90. जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण बदलने लगता है।
91. परमात्मा के साथ एक गहन संबंध का सृजन होता है।
92. गहन आध्यात्मिक विश्रांति मिलती है।
93. जीवन में समक्रमिकता ( synchronization) बढ़ जाती है।
94. व्यक्ति आत्मोन्मुख हो जाता है।
95. व्यक्ति वर्तमान में जीने लगता है।
96. सब लोगों से प्रेम करने की क्षमता में वृद्धि होने लगती है।
97. अहं व चेतना के परे देखने की शक्ति बढ़ जाती है।
98. सबके लिये एकता का भाव जागृत हो जाता है।
99. आपकी चेतना जागृत हो जाती है और आप ज्ञानी बन जाते हैं।
100. ज्ञान की एक आंतरिक भावना का अनुभव होने लगता है।

Cure Body Diseases With Sahaja Yoga Practice

कई बीमारियों से निजात दिलाता है सहज योग का अभ्यास


हम हमेशा से सुनते आ रहे है, यदि इन्सान में इच्छा शक्ति हो तो वो हर चीज़ कर सकता है| जब यह तथ्य सही है तो व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को भी सुधार सकता है| प्राचीन समय ने हमें विरासत में कई तकनीक दी है, जिनकी बदोलत व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है, बस जरुरत है इन्हें अपनाने की|



गुरु नानक, संत ज्ञानेश्वर आदि महान ज्ञानियों के प्रवचन में सहज योग का उल्लेख मिलता है| सहज योग की मदद से कई लाइलाज बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है| इससे मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक सभी तरह के लाभ शरीर को मिलते है|

यह आत्मज्ञान को प्राप्त करने की बहुत ही सुलभ ध्यान पद्धति है। इस पद्धति को सीख कर हर इन्सान अपने हर कार्य को व अपने जीवन को सफल कर सकता है| इससे तनाव दूर होता है, इससे पीठ दर्द से राहत मिलती है| इसका अभ्यास करने वाला व्यक्ति पूरा दिन उर्जा से परिपूर्ण होता है| आइये आज के लेख में विस्तार से जानते है 


जाने इसके बारे में संपूर्ण जानकारी


यदि हम सहज योग की बात करे तो इसकी खोज माता जी निर्मला देवी ने की थी| यह योग परमात्मा की सर्वव्यापक शक्ति से जु़ड़ने का अत्यंत सरल मार्ग है| 

दरहसल जब भी ईश्वरीय शक्ति जागृत होती है, व्यक्ति का सृजनात्मक व्यक्तित्व व उत्तम स्वास्थ्य का विकास होने लगता है|

सहज योग के अर्थ को यदि हम विस्तृत करे तो ‘सह’ का अर्थ है हमारे साथ, ‘ज’ का अर्थ है पैदा हुआ और ‘योग’ का अर्थ है संघ।

मानव पर परमात्मा की कृपा बरसने लगती है, जिसके चलते उसकी अंतर्जात प्रतिभा खिल उठती है, वह तनाव युक्त जीवन पाता है साथ ही निःस्वार्थ प्रेम एवं आनंद में लिप्त हो जाता है|


 सहज योग के लाभ

तनाव दूर करे

आज की इस प्रतियोगिता से भरी जिंदगी में व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात जुटा रहता है| जिसके चलते तनाव होना तो स्वाभाविक है|
तनाव के चलते कई समस्याए जैसे मोटापा, सरदर्द आदि होता है|
सहज योग स्वयं को तनावमुक्त रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
इससे हमारे शरीर पर और भी कई सकारात्मक प्रभाव पढ़ते है|

रक्तचाप में फायदेमंद

कुछ किये गए शोधो में यह बात सामने आई है की सहज योग का अभ्यास करने से स्वास्थ से सम्बंधित कई समस्याए ठीक होती है| जैसे की उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन, कैंसर आदि| जिसके चलते ह्रदय से सम्बंधित रोगों का खतरा नहीं होता|


एकाग्रता बढाए

एकाग्रता बढाने में सहज योग बहुत अधिक फायदेमंद है| जो लोग नियमित इसका अभ्यास करते है उनकी स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढती है|
इसलिए स्टूडेंट्स लोगो को तो यह आसन जरुर करना चाहिए|
एकाग्रता बढ़ने से वे पढ़ाई में अच्छे से मन लगा पाते है|

अन्य फायदे इन्हें भी जानिए:-

  • सहज योग ध्यान करने से थकावट दूर होती है|
  • इससे आपको क्रोध को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है|
  • सहज योग हमें गुणात्मक विशेषताएं प्रदान करते हैं।
  • सहज योग मन की समस्याओं को सुलझाने की सबसे बड़ी कुंजी है|
  • जब दमा, रजोनिवृत्ति के लिहाज से सैकड़ों लोगों पर सहज योग के असर का आकलन किया गया था तो उसका परिणाम उत्साहपूर्वक आया था|


सहजयोग आपनाए और अध्यात्मिक उत्थान पाए |

Subtle System - Sahaja Yoga Hindi article

प्रत्येक मनुष्य के शरीर में जन्म से ही एक सूक्ष्म तंत्र होता है। जिसमें तीन नाड़ियां,सात चक्र और परमात्मा की दी हुई शक्ति विद्यमान है।

परमात्मा की यही शक्ति जो कि कुंडलिनी शक्ति के नाम से जानी जाती है।

हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग में सुप्त अवस्था में रहती है। 

प्राचीन काल में बहुत से साधु संन्यासियों ने अत्यंत कठिन तपस्या एवं एकांत में ध्यान कर कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया, और परमात्मा से एकाकारिता प्राप्त की। 




आज के युग में श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा सहजयोग के माध्यम से कुंडलिनी शक्ति की जागृति सहज में ही हो जाती है,और मनुष्य योग अवस्था को प्राप्त करता है।

इसमें मनुष्य में शारीरिक,मानसिक, भौतिक लाभ तो होते ही हैं,लेकिन सबसे बड़ा लाभ है आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर से एकाकारिता। 

कुंडलनी शक्ति के संहजता में जागृति से हम स्वयं के गुरु हो जाते हैं,और जीवन में संतुलित स्थिति प्राप्त करते हैं।

सहज योग में श्री माता जी की आशीर्वाद से योग की अवस्था सरलता से प्राप्त कर सकते हैं और तत्पश्चात सुबह व शाम को कुछ मिनटों के ध्यान धारणा से अपना योग पूर्ण रूप से स्थापित कर सकते हैं।

 सहज योग विश्व की 110 देशों में निशुल्क बताया जाता है।

सहजयोग से -

  • पारिवारिक शांति,
  • स्वास्थ्य लाभ,
  • बुरी आदतों से छुटकारा,
  • आंतरिक चेतना का विकास एवं 
  • आध्यात्मिक उत्थान एवं
  •  वर्तमान में फैली हुई कोरोना वायरस से हमें दूर रखने के लिए रोग प्रतिरोधक शक्ति केवल सहजयोग से ही मिल सकती है।



इसके बारे में अधिक जानकारी हेतु इस टोल फ्री नंबर पर संपर्क करें-180030700800 | www.sahajayoga.org.in

About Kundalini Shakti - Sahaja Yoga Hindi Article

कुंडलिनी शब्द संस्कृत के कुण्डल शब्द से उत्पन्न है,अर्थात कुंडल में है। 

कुंडलिनी शक्ति रीड की हड्डी के नीचे त्रिकोण आकार अस्थि में साढ़े तीन कुंडलों में सुप्तावस्था में स्थित होती है।



संत ज्ञानेश्वर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ज्ञानेश्वरी के छठे अध्याय में कुण्डलिनी का वर्णन किया।

उन्होंने लिखा कुंडलिनी महानतम शक्तियों में से एक है। 

उसके जागरण से साधक का संपूर्ण शरीर कांतिमय हो जाता है,और इसके कारण देह की अवांछित अशुद्धियां निकल जाती हैं।

साधक का शरीर अनुरूप लगने लगता है,और उसकी आंखों में चमक आ जाती है।

परम पूज्य श्री माताजी 

परम पूज्य श्री माताजी के अनुसार कुंडलिनी को दैवीय शक्ति भी कहा जाता है।

यदि हम सहजयोग की बात करें तो इसकी खोज परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने 5 मई 1970 को गुजरात के नारगोल नामक स्थान में की थी।

यह योग परमात्मा की सर्वव्यापी से जोड़ने का अत्यंत सरल मार्ग है। 

दरअसल जब भी ईश्वरी शक्ति जागृत होती है, व्यक्ति का सृजनात्मक व्यक्तित्व व उत्तम स्वास्थ्य का विकास होने लगता है।

सहजयोग के अर्थ को यदि हम विस्तृत करें तो 'सह' का अर्थ है हमारे साथ 'ज' का अर्थ है जन्मा हुआ,और योग का अर्थ है संघ। 

हमारे शरीर में सात चक्र एवं तीन नाड़ियाँ होती हैं। 

हमारे बायीं तरफ इड़ा नाड़ी या चंद्र नाड़ी है,जो हमारी इच्छा शक्ति को दर्शाती है।यह भूतकाल से संबंधित है। 

हमारे दाहिनी और पिंगला नाड़ी या सूर्य नाड़ी है,जो कार्य शक्ति है।यह भविष्य काल से संबंधित है।

मध्य में सुषुम्ना नाड़ी होती है,जो हमें वर्तमान में रखती है।

सहज योग ध्यान द्वारा हम भूत भविष्य में ना जाकर वर्तमान में रहते हैं। हर समय प्रसन्न एवं संतुष्ट रहते हैं।हम परमात्मा को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में ढूंढते रहते हैं। जबकि सारे ही देवी देवता हमारे शरीर में ही चक्रों के रूप में स्थित हैं।

ये चक्र : 
  1. मूलाधार,
  2. स्वाधिष्ठान,
  3. नाभि, (भवसागर)
  4.  ह्रदय ,
  5.  विशुद्धि, 
  6. आज्ञा 
  7. सहसत्रार 

आत्मसाक्षात्कार से पहले हमारी नाड़ियों एवं चक्रों में कोई ना कोई दोष होता है,किंतु आत्म साक्षात्कार के बाद यह सारे दोष दूर हो जाते हैं।

चक्रों में उपस्थित देवी देवता जागृत होने से हमारा परमात्मा से मिलन हो जाता है। 

हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

सहज योग में पंच तत्वों की सहायता से हम पूरे विश्व की सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

असल में विश्व में जो भी समस्या है, उसका कारण मानव शरीर में चक्रों नाड़ियों के दोष हैं।

यदि यह सारे दोष दूर हो जाएं,तो मनुष्य परमात्मा के साम्राज्य में आ जाता है,और परम सुखी हो जाता है।

 वर्तमान में जो महामारी की समस्या चल रही है।वह भी हमारे चक्र और नाड़ियों के दोष के कारण है।इस समय हम घर से बाहर नहीं जा सकते।लेकिन घर बैठकर ऑनलाइन सहज योग ध्यान से हम अपने चक्र और नाड़ियों के दोष दूर करके इस महामारी से अपनी रक्षा कर सकते हैं,और पूरे विश्व को भी बचा सकते हैं।