Saturday, July 18, 2020

Clean your Hamsa Chakra to get rid of past completely!

.......जब तक आपका हंसा चक्र कार्यान्वित नहीं होता, तब तक आपका आनन्द प्राप्त करना सम्भव नहीं। इस विश्वास के साथ कि इन बन्धनों को त्यागने में ही हमारा हित है, इनसे यदि हम छुटकारा पा लें तो आज्ञा चक्र खुल जाता है।

       हंसा चक्र को स्वच्छ रखना अति महत्वपूर्ण है। हर चीज़ की सूक्ष्मता को देखिये, उसकी उपयोगिता को मत देखिये, उसकी सुन्दरता को देखिये शनैः शनैः आपकी दृष्टि स्वच्छ हो जाएगी ।

        हंसा चक्र का महानतम कार्य......यह है कि आपके पूर्व कर्मफल को समाप्त करता है।

 भूतकाल में किए गए हमारे पाप हो गए, मानों भूतकाल आपका नाता टूट गया हो।

 एक बार हंसा चक्र के स्थापित हो जाने पर आपके अपने सम्बन्धियों, पुरखों, परिवार, देश तथा विश्व, अपराध तथा पाप आपको छू नहीं पाते। आप उनसे अलग हो जाते हैं और इस कृतयुग में जब कि ब्रह्म चैतन्य लोगों को अपराधों के लिये सामूहिक तौर पर एक देश को बेपर्दा करना चाह रहा है, वह भी आपको छू तक नहीं सकता क्योंकि हंसा चक्र का प्रकाश अति शक्तिशाली है। 

पूर्व कृत अपराध फल के भय से मुक्ति दे दी। कीचड़ मेंं जन्मे कमल की तरह आप सुन्दर होंगे और पूरे विश्व में सुन्दर सुगन्ध बिखरेंगे।

प.पू.श्री माताजी,. कैनडा, १३.९.१९९२

Protect yourself from too much sun exposure - Hindi Article - Sahaja yoga

 धूप में सिर ढककर रखें


"सहस्त्रार की देखभाल करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सर्दियों में अपना सिर ढकें। सर्दियों में सिर ढकना अच्छा है ताकि मस्तिष्क ठण्ड से न जमें, क्योकि मस्तिष्क भी मेधा का बना होता है और फिर मस्तिष्क को बहुत ज्यादा गर्मी से भी बचाना चाहिए। 

अपने मस्तिष्क को ठीक रखने के लिए आपको हर समय धूप में ही नही बैठे रहना चाहिए,  जैसा कि कुछ पाश्चात्य लोग करते है। उससे आपका मस्तिष्क पिघल जाता है और आप एक सनकी मनुष्य बन जाते है, जो इस बात का संकेत है कि आपके कुछ समय बाद पागल होने की संभावना है। 

अगर आप धूप में भी बैठे तो अपना सिर ढक कर रखें।
सिर ढकना बहुत आवश्यक है । 
लेकिन सिर को कभी-कभी ढकना चाहिए, हमेशा नही।

 क्योकि अगर आप हमेशा ही सिर पर एक भारी पट्टा बांधे रहें तो रक्त का संचार ठीक प्रकार से नही होगा और आपके रक्त संचार में तकलीफ होगी। 
अतः केवल कभी कभी (हमेशा नही) सिर को सूर्य अथवा चन्द्रमा के प्रकाश में खुला रखना उचित है। 
यदि आप चांद के प्रकाश में अत्यधिक बैठे तो पागल खाने पहॅुच जाएंगे। 

 मै जो भी कुछ बताती हॅॅू, आपको समझना चाहिए कि सहजयोग में किसी भी चीज में ’अति’ न करें।"

----परमपूज्य श्रीमाताजी, हनुमान रोड, दिल्ली, 04.02.1983
https://www.amruta.org/1983/02/04/sahasrara-chakra-delhi-1983/?highlight=19830204

Prophesies about Sahaja Yoga - Hindi Article

15-10-1979 का लंडन यु.के.में श्री.माताजी द्वारा सहज योग के बारेमें भविष्य वाणी की गयी थी


1) आगे कौनसा भी बडा संघ (organisation) नही चलेगा,जिसके अनुसार (under their guidance)बहुत सारे योगी बडे बडे हॉलमे सामुहीक ध्यान के लिएे एकठ्ठा एकठ्ठा जमा होते है।

2) आगे बहुत बडी मात्रा में बडे हॉलमें सामुहिक पुजाँए नही होंगी।

3) आगे बडे बडे मंदीर नही होंगे जहाँ लोगोंकी भीड लगी रहे।

4) सहज योगा एकमेव सर्व सामान्य जीवन शैली बन जायेगी।

5) बहुत बडी संख्यामें लोग सहज योग का स्वीकार करेंगे,वो कभी नही सोचेंगे की वो कुछ अलग कर रहे है।

6) अलगसे सहज योगका प्रचार प्रसार करनेकी चर्च्या या प्लानिंग करनेकी जरुरत ही नही रहेगी,परिपुर्ण योगी लोगोंका सहज योग प्रचार प्रसार का कार्य करेगा।

7) अभी मानवी समुदाय में जो भी समस्याँए मौजुद है वो सारी खत्म होंगी।

8) कोई नॅशनल या स्थानिक कमीटी या कौन्सिल नही रहेगी।

9) आप सार योगी जन नियमित रुपसे गहन ध्यान करेंगे,पुरी तरहसे चैतन्य को महसुस करेंगे और सभी योगी भाई बहन एक दुसरोंको सहज(निरपेक्ष भावनासे) तरीकेसे सहकार्य(एक दुसरोंकी समस्याँओमें सहकार्य)करेंगे।

10) सहज योग की एकवेब साइट कार्यान्वित रहेंगी जहाँ से योगीजन    परिपुर्ण मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।सहज योग मे कुछ अलग कार्य की (सेमीनार या वर्कशॉप्स आदी)की जादा आवश्यकता नही रहेंगी।

11) आप मे से सभी परफेक्ट नही रहेंगे फिरभी आपको आपके उत्थान का रास्ता मिल जाएगा।

12) हम लोग नियमित रुपसे अपनी अपनी छोटीे सामुहिकता में ध्यान धारणा करेंगे और पुजा कार्यक्रम भी सम्पन्न करते रहेंगे।
आगे जॉन द्वारा कुछ प्रश्नोंके उत्तर मे श्री.माताजी ने कहाँ की सिर्फ योगीयोंके प्रेम तत्व से सब कार्य होगा,और योगी योंकी सभी समस्याँए प्रेम तत्व से ही खत्म होंगी।

(यहाँ श्री माताजीने योगीयोंको अप्रत्यक्ष रुपमें चेतावनी दी है की प्रेम तत्व के बिना सहज योग चलने वाला नही है।)
प्रत्यक्ष मार्गदर्शन अंग्रेजी में उपलब्ध है जिसे योगी पढ सकते है।

जय श्री माताजी।

Monday, July 13, 2020

Power of Kundalini Shakti - Hindi Article

 कुंडलिनी की शक्ति



सभी भारी वस्तुएँ, सभी नीचे की तरफ जाती हैं, लेकिन कुंडलिनी ऊपर की ओर चढ़ती है, और ऊपर, और ऊपर, क्योंकि यह अग्नि की तरह है। जलते समय अग्नि कभी नीचे की तरफ नहीं जाती। यह हमेशा ऊपर की ओर जलती है।

कुंडलिनी भी अग्नि की तरह ही दिखती है, और उसके भीतर अग्नि की क्षमता है। अग्नि में शुद्ध करने की क्षमता है, और जो भी चीज़ भस्म की जा सकती है उसे भस्म करने की क्षमता है। जिन चीजों को यह भस्म नहीं कर सकती, उन्हें यह शुद्ध करती है, और जो ज्वलनशील वस्तुएँ हैं उन्हें भस्म करती है, जो भस्म की जा सकती हैं....... ।
अतः, अग्नि का यह गुण कुंडलिनी के भीतर होने के कारण, कुंडलिनी वह सबकुछ भस्म कर देती है जो कुछ भी बेकार है। जिस प्रकार हम अपने घर की सभी बेकार चीजों को बगीचे में ले जाकर जलाकर भस्म कर देते हैं, खत्म - एक बार में हमेशा के लिए सब खत्म हो गई ।

अतः जब कुंडलिनी ऊपर उठती है, वह भी आपके अंदर की ऐसी सभी बेकार चीजों को भस्म कर देती है, आपकी सभी व्यर्थ की इच्छाओं को, आपके बेकार के विचारों को, सभी प्रकार की व्यर्थ की संचित भावनाओं व अहंकार को और इनके बीच की हर तरह की बेकार की चीजों को। सभी कुछ तेजी से भस्म किया जाता है, क्योंकि इन्हें भस्म किया जा सकता है, ये सब स्वभाव से शाश्वत नहीं हैं। वे प्राकृतिक रुप से शाश्वत नहीं हैं। वे वहां पर अस्थायी हैं।

वह सब जो अस्थायी है, उसे वह भस्म करती है, और इस प्रकार वह आत्मा को आलोकित करती है, क्योंकि आत्मा को किसी भी तरह से भस्म नहीँ किया जा सकता।

लेकिन यह भस्म होना इतना इतना सुंदर है कि वह सबकुछ जो बुरा है, जो रुकावट है, वह सब जो दूषित है, वह सब जो एक रोग है, उसे यह भस्म करती है और तंत्र को शीतल कर देती है।

प.पू माता जी श्री निर्मला देवी।
17.05.1981
चेल्सम रोड आश्रम, लंदन।


Thoughtless Awareness - Hindi Article

निर्विचारिता में रहिये


......आपका जो किला है,आपका जो Fortress है वो निर्विचारिता।


 निर्विचारिता में जानो, वहीं जान जाओगे सबकुछ, कोई भी कार्य करना हो निर्विचारिता में जाओ। सारा सांसारिक कार्य निर्विचारिता में करते ही साथ में आप जानियेगा कि कहाँ से कहाँ डायनमिक हो गया मामला। 

फूलों को खिलते हुए किसने देखा है, फलों को लगते हुए किसने देखा है? संसार का सारा जीवंत कार्य होते हुए किसने देखा है? हो रहा है उसी डायनामिज्म में, उसी लिविंग चीज़ में आपको उतरना है। वो निर्विचारिता से आ रहा है ना। 

उस स्थान पर आप बैठे हैं, जहाँ ये सारा संसार फीका है, निर्विचारिता में ही उसकी आदत लगायें, हर समय निर्विचार रहने का ही प्रयत्न करें। 

.......निर्विचारिता में रहना चाहिए। यही आपका स्थान है, यही आपका धन है, यही आपका बल है, शक्ति है, यही आपका स्वरूप है, यही आपका सौंदर्य है और यही आपका जीवन है। निर्विचार होते ही बाकी का जो, बाहर का यंत्र है वह पूरा का पूरा आपके हाथ में घूमने लग जाता है। निर्विचारिता में रहिये, वहाँ पर न समय है, न दिशा है, न कोई छू सकता है, सिर्फ जीवंतता का दर्शन होता है। उस जगह से देखिये जहाँ से जीवन की धारा बहती है।


प.पू. श्री माताजी श्री निर्मला देवी

25 - 11- 1975
बम्बई



Sunday, July 12, 2020

Forgive & leave it to God - Hindi Article

क्षमाशीलता 


"....मैंने आपको असंख्य बार कहा है की ," जब आपको लगता है की किसी की कोई बात को क्षमा करना असंभव हो तो वह चीज़ परमेश्वर पर छोड़ दो ।" 


उसे परमेश्वर की उस शक्ति पर छोड़ दो जो विश्व का दिशा दर्शन करती है । उसके उपरांत उस चीज़ से आपका कोई सम्बन्ध नहीं होता । मुश्किल परिस्तिथियों में "सहज एवं शांत " रहना यह उसका सामना करने हेतु सर्वोत्तम मार्ग है । 

किसी एक की आक्रामकता को रोकने हेतु अगर सहजता प्रत्युत्तर उसे दिया जाये तो परमेश्वर आपकी रक्षा करता है ।

 वह आपकी और से खड़ा होता है । सभी प्रकार की परिस्तिथियों में मार्ग निर्धारित करने हेतु किसी प्रकार के निश्चित नियम नहीं हैं । केवल एक एवं एक ही नियम है वह याने क्षमा करना । तुम्हें लोगो को क्षमा करना ही चाहिए । 

..................आप जब इस प्रकार क्षमाशील व्यक्ति बनेंगे तो आपको कोई भी प्रत्युत्तर की चिंता करने की आवश्यकता नहीं । अगर आपने क्षमाशीलता की भावना स्थापित की होगी तो आप कुछ भी गलत नहीं करते हैं । 


आपको पूछा जायेगा की " क्या आपने उस व्यक्ति को क्षमा की ?" और उस पर आपका आश्चर्य कारक प्रतिसाद (उत्तर ) होगा " क्षमा ! किसलिए क्षमा । क्योंकि आपने किसी को दुःख नहीं दिया , कोई गुनाह नहीं किया है , आपको नाराजी भी अनुभव नहीं हुई और इसलिए क्षमा करने लायक कुछ भी नहीं है ।" 

क्षमाशीलता यह अत्यंत महत्वपूर्ण गुण जिन्होंने प्रस्थापित किया है ऐसे प्रत्येक का यही अनुभव होगा । आप क्षमाशील बनिए । आप खूब शक्तिशाली एवं बलशाली होंगे , खूब शुद्ध हो। आपको कोई भी आघात नहीं कर पाएगा , वह बिलकुल असंभव होगा ।

--- परम् पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी
05 / 02 / 2007



Sahaja Yoga Protects You Completely - Hindi Article

सहज योगी पूर्ण सुरक्षित है 


इतना डरा हुवा विश्व है, इतनी असुरक्षा है। आज हर व्यक्ति व्यग्र है। अपने जीवन को बचाने की सोच रहा है। आप सहजयोग में आये आप कष्ट से बच सकते है।


 क्योकि महामाया का एक पक्ष यह है की वे रक्षा करती है। जब तक आप स्वयं न चाहे कोई सहजयोगी को मार नही सकता। उनकी अपनी इच्छा है, उन्हें कोई छू नहीं सकता। 

किस प्रकार यह महामाया सहजयोगी की रक्षा करती है, इसकी अनेक कहानियाँ है। स्वप्न में भी वह रक्षा करती है। यह चेतन मस्तिष्क है, परन्तु अत्यंत गहन सुक्ष्म अवस्था पर आप जान जाते है कि आपके लिए क्या ठीक है क्या गलत। किसी न किसी तरह से वे जान जाते है।

 यही ज्ञान अन्तर्ज्ञान है। किस प्रकार समस्या से छुटकारा पाना है? और आप छुटकारा पा लेते हैं।

परमपूज्य श्री माताजी निर्मलादेवी
सहस्त्रार पूजा
८ मे १९८४