Monday, September 7, 2020

Do not be shy of spreading Sahaja Yoga

 इस जीवन में आपने सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया है और इसी जीवन में आपने उन्नत होकर उच्चतम अवस्था प्राप्त करनी है।अतः समय बहुत कम है और पृष्ठभूमि अन्धकारमय।

आप ऐसे लोगों से घिरे हुए है जो सुबह और शाम तक विनाशकारी धारणाएं (विचार) प्रवाहित करते रहते है।अब आप लोगों को उन सब की अपेक्षा तेजी से आगे बढ़ना है।यद्यपि आप जानते है कि आपकी चेतना उनसे भिन्न है फिर भी एक प्रकार का आलस्य है जो सहजयोग को वैसे स्वीकार नही करने देता जैसे किया जाना चाहिए।आप सब लोग प्रतिदिन  अवश्य सोचें कि मैंने सहजयोग के  लिए क्या किया।परन्तु आप तो अब भी अपनी नौकरियां,धनार्जन,लोगोंसे सम्बन्धों आदि उन कार्यों  में व्यस्त है जिसका सहजयोग में कोई महत्व नही है।

पूरी शक्ति से प्रयास करके हमें उस अवस्था तक उठना होगा की जो कुछ हम जानते है,जिसे हमे पूरा विश्वास है,उसी के अनुरूप कार्य करके उससे एकरूप होना है।..........सूक्ष्म स्वतन्त्रता के लिए सहजयोगियों को हर सम्भव प्रयास करना होगा।

  पहली चीज है महसूस करना,चेतन होना,हर समय जागरूक होना कि आप योगी है।आप लोग बाकी लोगों से बहुत ऊँचे है।मानव मात्र का उद्धार आप पर निर्भर है।सृजन का उद्देश आप ही पूरा करेंगे।

   "आपको कार्य करना होगा,हर अंगुली को कार्य करना होगा।मै यही बता रही हूँ कि अब ये देखना हमारी जिम्मेदारी है की स्वयं सहजयोगी बनने के साथ साथ और भी बड़ी संख्या में सहजयोगी बनाएं।ये बसंत का समय है।"

   ये आदिशक्ति का कार्य है।ये बात समझने का प्रयास करे।किसी अवतरण का कार्य नही है।किसी  संत का कार्य नही है। ये आदिशक्ति का कार्य है जो आप में स्पष्ठ परिणाम (प्रभाव) दिखा रहा है।

   "मेरे लिए सबसे महान कार्य जो आप कर सकते है,वो है सहजयोग को फैलाना"ये अति विशिष्ट,बहुत ही कठिनाई से प्राप्त  होने वाला  आशीर्वाद आपको प्राप्त हुवा है।

      ........आज विश्व की सबसे बड़ी आवश्यकता है की हम आधिक से आधिक सहजयोगी बनाये।परन्तु यह कार्य करने में लोगोंको शर्म आती है।अत्यंत हैरानी की बात है।अत्यंत हैरानी की बात है।परन्तु अगुरुओं के शिष्य अपने असत्य विचारों का प्रसार करने में संकोच नही करते।तो सहजयोगियों को क्यों संकोच करना चाहिए?उन्हें क्यों शर्म आनी चाहिए? ये बात मेरी समझ में नही आती।इसके विषय में सब को बताएं और उन्हें सहजयोगी बनाये।

   (परमपूज्य श्री माताजी,कबेला-21.07.2002)

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