Monday, September 7, 2020

Brahma Muhurt Dhyan - Early Morning Meditation

 

 ब्रम्ह मूहूर्तब्रम्ह मूहूर्त मे ध्यान करने का महत्व. 

Importance of daily meditation...


ब्रह्म मुहूर्त में निर्विचरिता बनाये रखने के लिए श्री माँ ने बताया है कि जैसे हो वैसे ही बैठे, बंधन तक लेना जरूरी नहीं है, क्योंकि कहीं हमारी ब्रम्हमुहूर्त की निर्विचरिता खत्म ना हो जाए और निर्विकप्ल समाधि में कोई खलल ना हो। समाधि लगाने का सही समय यहीं होता है।


श्री माताजी के सामने दीया जलाए, ध्यान कि स्थिति प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अपना राईट हेंड लेफ्ट साइड के हृदय पर रखिये श्री माँ को हृदय में देखिये दो मिनट तीन मिनट के लिए हृदय पर हाथ रख कर श्री माँ को हृदय में बुलाये फिर वहीं हाथ अपने सामने की आज्ञा चक्र पर रखे और श्री निर्विचरिता साक्षात का मंत्र लिजिए।


अब वहीं राइट हेंड हमें सहस्त्रार पर रखकर धीरे धीरे घुमाना है, हाथ का सहस्त्रार तालु के सहस्त्रार चक्र पर रखे, अब अपना हाथ धीरे से श्री माँ की ओर करें और ध्यान लगाएं मन में कोई विचार ना आने दें, अगर कोई विचार आता है, विचार थम नहीं रहे है तो पांच मिनिट तक श्री माँ की प्रतीमा की ओर देखीये फिर ध्यान कीजिए .


 ध्यान (Meditation)


अपनी ऑंखें बंद करो। अपने दोनों हाथ मेरे पास रख दो। सहस्त्रार पर अपना ध्यान लगाएं। बस आपका ध्यान सहस्त्रार पर है। आप अभी-अभी मेरे सहस्त्रार में हैं। अपना ध्यान अपने सहस्त्रार पर लगाएं। कोई विचार नहीं है। कुछ भी तो नहीं। बस अपने सहस्त्रार पर अपना ध्यान लगाएं और बस उस बिंदु तक उठें। इसके बारे में कोई नाटक नहीं है। कुछ भी कृत्रिम नहीं है। यह बोध है।


सभी कमजोरियों को पीछे छोड़ दिया जाना है। आइए हम गरिमा और शांति के साथ मजबूत मूल्यों के मजबूत लोग बनें। मौन परम आंतरिक मौन। कोई भी विचार आने वाला कहता है, "यह नहीं, यह नहीं।"


परमपुज्य श्रीमाताजी निर्मलादेवी

बोर्डी
6 फरवरी 1985


यह ध्यान समुद्र के किनारे पर स्वयं श्री माताजी ने कराया है ।श्री माताजी ध्यान मुद्रा मे बैठी है और ध्यान करा रही है .....।

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