आप सब परमात्मा के साम्राज्य के अधिकारी हैं तो फिर आप क्यों परेशान हैं, आप रो क्यों रहे हैं ? इस साम्राज्य के सारे देवी-देवता आपके बड़े भाई और बहन हैं। उन सभी को कुंडलिनी के मार्ग पर कई रूपों में बिठा दिया गया है। आपको उन्हें पहचानना है और उनको प्राप्त करना है।
कुंडलिनी आपकी माँ है। सदैव उनकी छत्रछाया में रहें, उनके प्रेम की छाँव तले रहें, उनके बच्चे बनें और वही आपको उस सर्वोच्च परमपिता परमात्मा तक ले जायेंगी। एक बार जब आप ये प्राप्त कर लेंगे, जहाँ से सारी चीजें उत्पन्न हुई हैं तो बाकी सारी चीजें स्वयं ही आसान हो जायेंगी*।
*लेकिन आप लगातार ध्यान नहीं करते हैं, प्रेम और शांतिपूर्वक नहीं रह पाते हैं, आपकी बातचीत में गंभीरता नहीं है, यहाँ तक कि मुझसे बात करते समय भी आप गंभीर नहीं हैं। लेकिन सांसारिक वस्तुओं के लिये आप कितने लालायित हैं।
जब आपको किसी चीज की इच्छा होती है तो आप उसको प्राप्त करने के लिये कितनी जिद्दी हो उठते हैं। क्यों नहीं इन चीजों को भी आप हल्के में लेते हैं। वास्तविकता से दूर न भागें, क्योंकि मैं महामाया हूँ।
मुझको प्राप्त करने का प्रयास करें। मैं आपकी माँ हूँ, मैं आपके लिये ही हूँ। मैंने आप लोगों को वह दिया है जो महान से महान साधु और संतों को भी प्राप्त नहीं था। आपको एक महान संपत्ति दे दी गई है। आप इसका उपयोग किस प्रकार से करेंगे? इस संपत्ति की मात्र एक लहर से हजारों और करोड़ों सितारों और ग्रहों को सृजन किया गया है। आपके पुनर्जन्म का महत्व बहुत अधिक है*।
(परम् पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी)
(निर्मला योग, 15-1, मई-जून 1983)
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