आपको सहजयोग में केवल एक ही चीज मध्य में रखती है और वह है श्रीगणेश जी की पूजा
यदि हम श्रीगणेश की पूजा करना चाहते हैं तो हमें सोचना चाहिये कि क्या हम सचमुच ही अबोध और निष्कलंक हैं। आजकल लोग अत्यंत चालाक और मक्कार हो गये हैं और मक्कारी के मामले में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे सरल और मासूम लोगों के साथ अनेकों मक्कारी भरे खेल खेलते हैं। वे सोचते हैं कि इस आधुनिक समय में हमेशा वे ही सही हैं और बाकी लोग अत्यंत शातिर और धूर्त हैं।
उदाहरण के लिये आजकल आप सभी का जीवन काफी व्यस्त हो गया है। आप सभी अपने कार्यों में अत्यंत व्यस्त हैं और मैं कहूंगी कि आप सभी सामान्य से अधिक कार्य करते हैं। लेकिन ये कार्य करते हुये आपको लगता है जैसे कि आप परमात्मा का ही कार्य कर रहे हैं।
इसके परिणामस्वरूप श्रीगणेश जी की अनदेखी होने लगती हैं और ऐसा व्यक्ति अत्यंत रूखे स्वभाव वाला और स्वयं मे लिप्त या इनमें से एक गुण वाला व्यक्ति बन जाता है। उसे पता ही नहीं चल पाता कि वह जा कहाँ रहा है। आपको सहजयोग में केवल एक ही चीज मध्य में रखती है और वह है श्रीगणेश जी की पूजा जिससे आप सदैव मध्य में बने रहते हैं।
परमपुज्य श्रीमाताजी निर्मलादेवी
कबेला, इटली 1999
No comments:
Post a Comment