मूलाधार चक्र
तत्व : भूमि (पृथ्वी)
ग्रह : मंगल
चिन्ह :स्वस्तिक
रत्न : मूँगा
वर्ण: लाल
स्थान: त्रिकोणाकार अस्थिके नीचे, हाथ में कलाई के पास, पैर में एड़ी
बीजमंत्र: लं
अभिव्यक्ति: पेल्विक प्लेक्सस-चारपंखुड़ियाँ
शासक देव: श्री गणेश
गुण : अबोधिता, पवित्रता, संतुलन, बुद्धि, चुम्बकीय शक्ति
नियंत्रित अंग-कार्य : गर्भाशय, प्रोस्टेट, यौन गतिविधि, उत्सर्जन
दोष पैदा होने के कारण : व्याभिचार, समलैंगिक कामुकता, तंत्र विद्या, माता-पिता द्वारा बच्चों का दुरुपयोग
दृषित चक्र के कारण उत्पन्न रोग: एड्स, सेक्ससंबंधी रोग, यूट्रस और प्रोस्टेट का कैन्सर
शुद्धीकरण :
* परम पूज्य श्री माताजी के चरणों की पूजा - श्री गणेश रुप मे
* श्रीगणेश के १०८ नामों का जाप प्रार्थना
* पृथ्वी पर बैठ कर अथर्वशीर्ष का श्रद्धापूर्वक नियम से पाठ
* अनैसर्गिक यौन संबंधो से दूर रहना।
* अश्लील साहित्य न पढ़ना एवं तांत्रिक प्रयोगों से दूर रहना।
+ धरा माँ पर बैठकर श्री गणेश अथर्वशीर्ष पढ़ो तथा श्री गणेश का ध्यान करो।
आपकी सभी समस्याओं का अंत हो जायेगा। -
परम पूज्य श्री माताजी, आस्ट्रेलिया, २६.८.१९९०
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