तुर्या अवस्था - यानि आप मोह से मुक्त है।
........हम लोग तीन अवस्थाओं में रहते हैं। जागृत अवस्था में हमारा ध्यान यहाँ वहाँ भटकता है, और हम हमारे चित्त को खराब करते हैं। दूसरा वह होता है, जिसमें हम सोते हैं, जब हम सोते हैं तब भी हमारे अतीत की और इधर उधर की बातें हमारे पास आती हैं। फिर हम और गहरी नींद में चले जाते हैं - जिसे कहते हैं सुषुप्ति। इस स्थिति में आप गहरी नींद में होते हैं और सपने देखते हैं जो कि सच भी हो सकते हैं। आप मेरा सपना भी देख सकते हैं। यह अचेतन का ईश्वरीय भाग है, जहाँ सुन्दर जानकारियां प्रदान की जाती हैं। जैसे कि मान लीजिये मैं इटली में आने वाली हूँ, और वहाँ के लोगों को सुषुप्ति में इस बात का पता लग जाये।
........किन्तु चौथी अवस्था को तुर्या अवस्था कहते हैं। दो अवस्थाएं और होती हैं। आप लोग तुर्या स्थिति में हैं जिसमें आप निर्विचार जागरूक अवस्था में होते हैं। जब कोई विचार नहीं है - जरा सोचिये जब कोई विचार नहीं होता - आपको अबोध बनना पड़ता है, आपको चेतना को जानना पड़ता है, आप किसी से मोह में नहीं रह सकते। तो यही निर्विचार की स्थिति जिसमें आप लोग हैं, यही तुर्या स्थिति है और इस स्थिति में यह चार पंखुड़ियां जो आपके अन्दर हैं, इन्हें आपके सहस्रार में खुलना होगा।
ये आपके हृदय से मस्तिष्क तक जाती हैं और तब आप असल में यह समझ पायेंगे कि भगवान क्या हैं ? यह वह समय है जब आपको असली ज्ञान प्राप्त होता है।
- परमपूज्य श्रीमाताजी, महाशिवरात्रि पूजा, चिआंसीआनो टर्म,
इटली : 16.2.1991।
No comments:
Post a Comment