प्रसन्नता क्या है
"किसी व्यक्ति का खुशी या गमी के हिसाब से आकलन करना सही नहीं है। गम या दुख हमें प्रति अहंकार से मिलते हैं और खुशी या प्रसन्नता हमें हमारे अहंकार के तृप्त होने पर मिलती है। लेकिन आनंद का दोहरा चरित्र नहीं है, आनंद केवल आनंद (सुख और दुख से परे की स्थिति) है । आनंद में आप देखते मात्र हैं, आप स्थिति या वस्तु को संपूर्णता में देखते हैं।
और जब आप आनंदमय होते हैं, तो आप वस्तु या स्थिति को पूर्ण रूप से महसूस करते हैं, आनंद स्वंय आपके पास इस तरह से आता है, जैसे आशीर्वाद आपके ऊपर बरस रहा हो। यह (आनंद) इतना सुंदर है कि आप बस इसमें खो जाते हैं।"
परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी ।
१४.०८.१९८०, प्रेस्टन, इंग्लैंड।
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