धूप में सिर ढककर रखें
"सहस्त्रार की देखभाल करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सर्दियों में अपना सिर ढकें। सर्दियों में सिर ढकना अच्छा है ताकि मस्तिष्क ठण्ड से न जमें, क्योकि मस्तिष्क भी मेधा का बना होता है और फिर मस्तिष्क को बहुत ज्यादा गर्मी से भी बचाना चाहिए।
अपने मस्तिष्क को ठीक रखने के लिए आपको हर समय धूप में ही नही बैठे रहना चाहिए, जैसा कि कुछ पाश्चात्य लोग करते है। उससे आपका मस्तिष्क पिघल जाता है और आप एक सनकी मनुष्य बन जाते है, जो इस बात का संकेत है कि आपके कुछ समय बाद पागल होने की संभावना है।
अगर आप धूप में भी बैठे तो अपना सिर ढक कर रखें।
सिर ढकना बहुत आवश्यक है ।
लेकिन सिर को कभी-कभी ढकना चाहिए, हमेशा नही।
क्योकि अगर आप हमेशा ही सिर पर एक भारी पट्टा बांधे रहें तो रक्त का संचार ठीक प्रकार से नही होगा और आपके रक्त संचार में तकलीफ होगी।
अतः केवल कभी कभी (हमेशा नही) सिर को सूर्य अथवा चन्द्रमा के प्रकाश में खुला रखना उचित है।
यदि आप चांद के प्रकाश में अत्यधिक बैठे तो पागल खाने पहॅुच जाएंगे।
मै जो भी कुछ बताती हॅॅू, आपको समझना चाहिए कि सहजयोग में किसी भी चीज में ’अति’ न करें।"
----परमपूज्य श्रीमाताजी, हनुमान रोड, दिल्ली, 04.02.1983
https://www.amruta.org/1983/02/04/sahasrara-chakra-delhi-1983/?highlight=19830204
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