कुंडलिनी की शक्ति
सभी भारी वस्तुएँ, सभी नीचे की तरफ जाती हैं, लेकिन कुंडलिनी ऊपर की ओर चढ़ती है, और ऊपर, और ऊपर, क्योंकि यह अग्नि की तरह है। जलते समय अग्नि कभी नीचे की तरफ नहीं जाती। यह हमेशा ऊपर की ओर जलती है।
कुंडलिनी भी अग्नि की तरह ही दिखती है, और उसके भीतर अग्नि की क्षमता है। अग्नि में शुद्ध करने की क्षमता है, और जो भी चीज़ भस्म की जा सकती है उसे भस्म करने की क्षमता है। जिन चीजों को यह भस्म नहीं कर सकती, उन्हें यह शुद्ध करती है, और जो ज्वलनशील वस्तुएँ हैं उन्हें भस्म करती है, जो भस्म की जा सकती हैं....... ।
अतः, अग्नि का यह गुण कुंडलिनी के भीतर होने के कारण, कुंडलिनी वह सबकुछ
भस्म कर देती है जो कुछ भी बेकार है। जिस प्रकार हम अपने घर की सभी बेकार
चीजों को बगीचे में ले जाकर जलाकर भस्म कर देते हैं, खत्म - एक बार में
हमेशा के लिए सब खत्म हो गई ।
अतः जब कुंडलिनी ऊपर उठती है, वह भी आपके अंदर की ऐसी सभी बेकार चीजों को भस्म कर देती है, आपकी सभी व्यर्थ की इच्छाओं को, आपके बेकार के विचारों को, सभी प्रकार की व्यर्थ की संचित भावनाओं व अहंकार को और इनके बीच की हर तरह की बेकार की चीजों को। सभी कुछ तेजी से भस्म किया जाता है, क्योंकि इन्हें भस्म किया जा सकता है, ये सब स्वभाव से शाश्वत नहीं हैं। वे प्राकृतिक रुप से शाश्वत नहीं हैं। वे वहां पर अस्थायी हैं।
वह सब जो अस्थायी है, उसे वह भस्म करती है, और इस प्रकार वह आत्मा को आलोकित करती है, क्योंकि आत्मा को किसी भी तरह से भस्म नहीँ किया जा सकता।
लेकिन यह भस्म होना इतना इतना सुंदर है कि वह सबकुछ जो बुरा है, जो रुकावट है, वह सब जो दूषित है, वह सब जो एक रोग है, उसे यह भस्म करती है और तंत्र को शीतल कर देती है।
प.पू माता जी श्री निर्मला देवी।
17.05.1981
चेल्सम रोड आश्रम, लंदन।
अतः जब कुंडलिनी ऊपर उठती है, वह भी आपके अंदर की ऐसी सभी बेकार चीजों को भस्म कर देती है, आपकी सभी व्यर्थ की इच्छाओं को, आपके बेकार के विचारों को, सभी प्रकार की व्यर्थ की संचित भावनाओं व अहंकार को और इनके बीच की हर तरह की बेकार की चीजों को। सभी कुछ तेजी से भस्म किया जाता है, क्योंकि इन्हें भस्म किया जा सकता है, ये सब स्वभाव से शाश्वत नहीं हैं। वे प्राकृतिक रुप से शाश्वत नहीं हैं। वे वहां पर अस्थायी हैं।
वह सब जो अस्थायी है, उसे वह भस्म करती है, और इस प्रकार वह आत्मा को आलोकित करती है, क्योंकि आत्मा को किसी भी तरह से भस्म नहीँ किया जा सकता।
लेकिन यह भस्म होना इतना इतना सुंदर है कि वह सबकुछ जो बुरा है, जो रुकावट है, वह सब जो दूषित है, वह सब जो एक रोग है, उसे यह भस्म करती है और तंत्र को शीतल कर देती है।
प.पू माता जी श्री निर्मला देवी।
17.05.1981
चेल्सम रोड आश्रम, लंदन।
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