Thursday, September 15, 2022

Take care of liver - Hindi Article

 श्री माताजी की दिव्य वाणी 

 गुरू तत्व जो है वो इन तीनों शक्तियों, महाकाली, महालक्ष्मी महासरस्वती, इन तीनों शक्तियों का समन्वय है और ये नूतन स्वरूप परमात्मा ने हमारे अंदर समाई हुई है, जिस तरह से तीनों शक्तियां, ब्रह्मा विष्णु महेश जब पावित्र्य के सामने जाकर खड़ी हो गयी तो उस पावित्र्य ने उनको वो नूतनता, उनका भोलापन दे दिया, वो भोलापन से भरी हुई हैं ये तीनों शक्तियां जो हैं वो एक दत्तात्रेय जी के अंदर समाई हुई हैं, वो हमारे भवसागर में समाई हुई हैं।

हम किस तरह से अपने गुरु तत्व को कैसे मारते हैं ये मैं आपको बतलाऊंगी, किस तरह से हम अपने गुरु तत्व को हर समय खराब करते हैं, एक तो गुरू तत्व में हमारे अंदर जो चेतना है इसको संभालने वाला हमारा लीवर (यकृत) है, जब तक हमारा यकृत ठीक रहेगा, हमारी चेतना ठीक रहेगी और जैसे ही हमारा यकृत खराब हो जाता है, हमारा पित्त खराब हो जाता है।

दुष्ट आदमी के यहाँ और किसी गलत जगह खाना खाने से आपको बहुत तकलीफ हो सकती है, लीवर की खराबी से गुरू तत्व खराब होता है। 🌀🧘🏻‍♀️


 "भवसागर, गुरू तत्व का महत्व"🔱🚩

गुरू तत्व और श्री कृष्ण की शक्ति 

26 सितम्बर 1979

मुम्बई

No comments:

Post a Comment