अपने मे जो कुछ गंदगी दिखाई देती है वह इस गणेश तत्व के कारण दूर हो जाती है अब इस श्री गणेश तत्व से पहले श्री गौरी कुंडलिनी का पूजन करना पड़ता है ।
जब आप की कुंडलिनी का जागरण होता है, तब श्री गणेश तत्व की सुगंध सारे शरीर में फैलती है।
कुंडलिनी का जागरण जब होता है उस समय खुशबू आती है अनेक प्रकार की सुगंध आती है इसका मतलब है कि जिन लोगों को सुगंध प्रिय नहीं है, जिनको सुगंध अच्छी नहीं लगती है, उनमें भयंकर दोष है क्योंकि सुगंध पृथ्वी तत्व का एक महान तत्व है।
तो श्री गणेश का पूजन करते समय प्रथम हमें अपने आप को सुगंधित करना चाहिए । मनुष्य जितना दुष्ट होगा, बुरा होगा, उतना ही दुर्गंधी होगा ।
ऊपर से उसने खुशबू लगाई होगी तो वहां मनुष्य सुगंधित नहीं है। सुगंध ऐसी होनी चाहिए की मनुष्य आकर्षक लगे होनी किसी मनुष्य के पास जाकर खड़े होने पर अगर प्रसन्नता पवित्रता आने लगे तो वह मनुष्य सच मे सुगंधीत है ।
कुंडलिनी एवं श्री गणेश
1976 दादर मुंबई
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