बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
प्रेम से ही सभी प्रकार के रचनात्मक घटनाये घटित होतीं है।
और जैसे-जैसे प्रेम बढ़ता , आपकी रचनात्मकता विकसित होती है ।
माता सरस्वती की रचनात्मकता का आधार प्रेम ही है।
अगर प्रेम नहीं है तो रचनात्मकता नहीं है।
यदि गहरे अर्थों में भी तुम देखो - सभी वैज्ञानिक चीजों का निर्माण जनता के प्रति प्रेम भाव और उनके हित के लिए ही हुआ है - अपने लिए नहीं।
केवल खुद के लिए ही उत्पादन नहीं किया गया।
यदि वे अपने लिए कुछ बनाते हैं तो इसे सार्वभौमिक उपयोग के लिए बनना होगा, अन्यथा इसका कोई अर्थ नहीं है।
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी
श्री सरस्वती पूजा, धूलिया (भारत), संक्रांति दिवस, 14 जनवरी 1983
With love all kinds of creative action takes place.
And as love will increase, your creativity will develop.
So the basis of all creativity of Saraswati is love.
If there is no love there is no creativity.
It is even in the deeper sense, if you see; people who have created all the scientific things are also out of love to the masses, not for themselves.
Nobody has produced anything for themselves.
If they make something for themselves it has to become for universal use, otherwise it has no meaning.
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