Wednesday, June 24, 2020

Prayer Should Be From The Heart - Sahaja Yoga

“एक पूजा या प्रार्थना की वृद्धि आपके हृदय से होती हैं। मंत्र आपकी कुण्डलिनी के शब्द हैं (अर्थात शब्द जो शक्ति से संबंधित हें, मंत्र हैं) लेकिन पूजा अगर हृदय से नहीं की गई या मंत्रो के शब्दों के साथ कुण्डलिनी नहीं संबंधित हैं तो वह पूजा सिर्फ एक कर्मकाण्ड ही हे। 

सबसे अच्छा है कि पूजा हृदय में की जाए। पूजा के समय मंत्रों को बहुत श्रद्धा के साथ कहा जाना चाहिए (अर्थात्‌ मंत्र उच्चारण के हर शब्द पर साथ साथ चित्त की दृष्टि भी होनी चाहिए, जेसे चित्त ही बोल रहा हो)।

 पूजा उस समय करें जब श्रद्धा गहरी हो जाये जिससे हृदय द्वारा पूजा पूरित हो उस समय आनन्द की लहरियाँ बहना शुरू हो जाती हैं क्योंकि तब आत्मा ही सब कुछ कह रहा होता हैं (अर्थात्‌ तब मंत्र आत्मा के ही शब्द होते हें)




प.पू.श्री माताजी निर्मलादेवी





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