प्रत्येक मनुष्य के शरीर में जन्म से ही एक सूक्ष्म तंत्र होता है। जिसमें तीन नाड़ियां,सात चक्र और परमात्मा की दी हुई शक्ति विद्यमान है। परमात्मा की यही शक्ति जो कि कुंडलिनी शक्ति के नाम से जानी जाती है,हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग में सुप्त अवस्था में रहती है। श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा सहजयोग के माध्यम से कुंडलिनी शक्ति की जागृति सहज में ही हो जाती है,और मनुष्य योग अवस्था को प्राप्त करता है।
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