Tuesday, June 1, 2021

Only God is my doctor!

 मेरे वैद्य तो केवल पारब्रह्म परमेश्वर हैं.....


(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, सार्वजनिक कार्यक्रम, नई दिल्ली, 9 फरवरी 1981, सेंटर हार्ट ग्रुप से साभार)


जब हमारा ये केन्द्र अर्थात हमारा मध्य हृदय खराब हो जाता है तो सबसे पहले आपके शरीर की एन्टीबॉडीज कम हो जाती हैं। ऐसी बहुत सारी दवायें हैं, जिनसे हमारे शरीर की एंटीबॉडीज कम होने लगती हैं, लेकिन फिर भी लोग इन दवाओं को लेते रहते हैं, क्योंकि इनको लेते रहने से उनको कुछ समय के लिये अपनी बीमारी में थोड़ा आराम मिलता है।


लेकिन इन दवाओं को लेते रहने से आप अन्य रोगों अन्य रोगों के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि आपके शऱीर में एंटाबॉडीज कम हो जाती हैं और आप अन्य रोगों से नहीं लड़ सकते और आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति क्षीण होने लगती है। ऐसी दवाओं को लेते समय में हम ये भूल जाते हैं कि हम लोग संपूर्ण व्यक्तित्व हैं न कि महज भौतिक शरीर हैं। हमारा भावनात्मक और मानसिक अस्तित्व तो है ही लेकिन इन सबसे ऊपर हमारा आध्यात्मिक अस्तित्व भी है।


जब हम इस पहलू को भूल जाते हैं, तो उस समय हम केवल अपने भौतिक शऱीर की चिंता करते रहते हैं और जब हमारा भौतिक शरीर रोगग्रस्त हो जाता है, तो उसको ठीक करने के लिये हम इस पृथ्वी पर उपलब्ध हर इलाज को करने की कोशिश करते हैं। परंतु हमें ये मालूम नहीं होता कि इन उपचारों को करने से हमारा भावनात्मक पक्ष खराब हो जाता है, और जब हमारा भावनात्मक पक्ष कमजोर हो जाता है तो यह काफी खतरनाक हो सकता है। जिन दवाओं को हम ले रहे होते हैं वे हमारे शरीर की एंटीबॉडीज को कम कर देती हैं, और अंततः हम पागलपन की कगार तक पहुँच जाते हैं।


इन दवाओं को लेते रहने पहले तो आपको चक्कर आने लगते हैं .... और अत्यधिक नींद आती है। बहुत ज्यादा सोने से और ढेरों दवायें लेने से आप पागलपन का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि आप अवचेतन में धकेल दिये जाते हैं, जहाँ आपके ऊपर बाँई ओर के आक्रमण होने लगते हैं औ फिर आप पगला जाते हैं।


अतः इन दवाओं को सेवन बहुत ज्यादा खतरनाक होता है। लोग मानव की पूरी प्रकृति जाने बिना केवल इसके एक ही भाग अर्थात भौतिक (शारीरिक) पक्ष का ही उपचार करते रहते हैं। सहजयोग में हम, जैसा कि उन्होंने आपको अभी बताया, कि मैं बिल्कुल भी कोई दवा नहीं लेती हूँ। मैं...... जैसे कबीर दासजी ने भी कहा है कि मैं तो कोई भी दवा नहीं लेता हूँ। जो पारब्रह्म परमेश्वर हैं, वही मेरे वैद्य हैं । वे ही मेरा उपचार करते हैं।


ये सच भी है। अब वह समय आ गया है कि जैसा कबीर  और नानकदेव जी ने कहा है ....शंकराचार्य और ईसामसीह ने कहा है कि मध्य हृदय को ठीक करने के लिये किसी प्रकार की दवा की आवश्यकता नहीं है।


परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी ।

पब्लिक प्रोग्राम, ०९.०२.१९८१

नई दिल्ली-भारत। 


When this center(Central Heart) is out of gear, first of all your anti-bodies are reduced. There are so many medicines which reduce your anti-bodies. But people take it because it gives them a little relief for the time being.


But then, they become  more prone to other diseases because if the anti-bodies are reduced, then you cannot fight the other diseases and the strength is reduced. Now, in all our medicines, we forget that we are a complete being, we are not just a physical being, but emotional being, and also a mental being, and above all, a spiritual being.


Now when we forget this, we are only worried about the physical side of it. And when our physical side is in trouble, we want to do everything under the sun; but we do not know by doing that we are spoiling our emotional side. By spoiling our emotional side, it can be very dangerous, that medicines, which reduce the anti-bodies in the body, can lead you to madness, ultimately.


First they give you giddiness, must you sleep a lot, and after that too much sleeping, too much of these medicines, can cause madness. Because you are thrown into the left side and you can be attacked and you can become a mad person.


So these medicines are so dangerous that people without understanding the complete nature of man just try to treat part of it.


In Sahaja Yoga we, as he said, I do not take any medicines, My …. as Kabira has said, “I do not take any medicines, for me Parabrahma is the one who is my Vaidya, He treats me”.


And is a fact, now the time has come to prove what Kabira has said, what Nanaka has said, what Adi Shankaracharya has said, what Christ has said. There is no need to take medicine to cure this centre."


HH Shri Mataji Nirmala Devi.

Public Program, New Delhi (India) 9 February 1981.

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