Friday, June 17, 2022

How To Meditate in Sahaja Yoga - Hindi Article

 सहज जीवन कैसा हो व ध्यान कैसे करे

भारतीय विद्या भवन,बम्बई 29.05.1976

लेक्चर बहुत बड़ा है कुछ महत्वपूर्ण information)

एक पाँच मिनिट पानी में सब सहजयोगी को बैठना चाहिए। फोटो के सामने दीप जलाकर,कुमकुम वैगरे लगाकर अपने दोनों हात रखकर,दोनों पैर पानी में रखकर सब सहजयोगी को बैठना चाहिए। आपके आधे से जादा प्रॉब्लम दूर हो जायेंगे अगर आप यह करेंगे तो। चाहे कुछ हो आपके लिए पाँच मिनिट कुछ मुश्किल नही है सोने से पहले। आप लोगोंको यह आदत लगे इसलिए में जबरदस्ती बैठती हूँ तो मेरे सहजयोगी बैठेंगे।

सवेरे के time जल्दी उठकर नहा धोकर ध्यान करना चाहिए। हम लोगोंका सहजयोग दिन का काम है रात का नही,इसलिए रात को जल्दी सोना चाहिए।6 बजे सोने की बात नही कह रही मै,लेकिन करीबन 10 बजे तक सबको सो जाना चाहिए।10 बजे के बात सोने की कोई बात नही। सवेरे जल्दी उठाना चाहिए।

सवेरे जल्दी उठने से, सवेरे के Time मे Receptivity (ग्रहन-शक्ती) जादा होती हे मनुष्य की।और इतना ही नही उस वक्त संसार मे बहुत अत्यंत सुन्दर प्रकार का चैतन्य भरा होता सै।बडे ही नत-मस्तक होकर के,अपने तो हदय मे नत करना।स्वयं को नम्र करे।

सबको क्षमा करे जिससे भी हमने बैर किया है।परमात्मा को कहिए उसके लिए तुम हमे माफ कर दो।अत्यंत पविञ भावना मन मे लाकर आप ध्यान मे जाए।

आँखे बन्द करके आत्मा की ओर ध्यान करे। अब कितने मिनिट करे यह सवाल पूछना बहुत गलत बात है।आप चाहे पाच मिनिट करिये चाहे दस मिनिट करे।विचारपूर्वक अत्यंत श्रध्दा से जिस तरह पूजा मे बैठे हे मौन रहकर बन्धन दे।उस वक्त चित्त इधर उधर न जाने दे बातचीत न करे।

और यह विचार करे प्रभु!हम तुम्हारे बन्धन मे रहै,हम पर कोइ बुरा असर न आए।

ध्यान करते हुए आँखे बन्द कर ले कोई हाथ इधर उधर न घुमाने की जरुरत नही।उस वक्त कोई-सा भी चक्र खराब हो,उस चक्र की ओर दृष्टी करने से ही वो चक्र ठीक हो जायेगा क्योकी उस वक्त मैने कहा है,ग्रहन शक्ती ज्यादा रहती है।

पहले तो अपने चक्र वैगरह शुध्द हो गये।इसके बाद आत्मा की ओर चित्त ले जाये।और यह आत्मत्व प्रेम है।अनेक बार इसका विचार करे।

अब रोजमर्रा के जीवन में क्या करना चाहिए?

रोजमर्रा के जीवन में आपको पता होना चाहिए की आपके अन्दर प्रेम की शक्ति बह रही है। आप जो भी कार्य कर रहे है क्या प्रेम से कर रहे है? या दिखाने के लिए कर रहे है की आप बड़े सहजयोगी है? हम भी किसीको कोई बात कहते है तो दुसरे दिन वो आकर हमे गालिया देते है और उसके बाद हमसे कहते है हमारे vibration क्यों चले गए।तो इस तरह आप मुर्खता करते है तो बेहतर होगा आप सहजयोग में ना आये।

हमारें अन्दर क्या दोष है? 

रोज के जीवन में देखते चले हम क्या चीज दे रहे है?

 हम प्रेम दे रहे है? 

क्या हम स्वयं साक्षात प्रेम में खड़े है? 

हम सबसे लड़ते है सबसे झगड़ा करते है। सबको परेशान करते है और सोचते है की हम सहजयोगी है। इस तरह की गलत फहमी में  ना रहना।अपने साथ पूर्णत: दर्पण के रूप में रहना चाहिए। समझ लीजिये आपके साथ कुछ चीज लगी तो माताजी उसे पोंछ दीजिये। इसी प्रकार अपने को देखते रहिये की 'देखिये अपने साथ कोनसी चीज लगी है इसको हम पोंछ लेते है।

जबरदस्ती से आप सहजयोग में आये है तो हमे आप माफ कीजिये आप सहजयोग से निकल जाये। एक दिन खुद ही आप निकल जायेंगे।

यहाँ पर आप परमात्मा के instrument(यंत्र) बनने जा रहे है।अत्यंत नम्रता आपके अन्दर आनी चाहिए। घमंड छोड़ दीजिये। लोग कहते है सन्यास लेना चाहिए मै कहती हूँ घमंड से आप सन्यास लीजिये।कपड़ो से नही लीजिये। कपड़े उतार देने से संन्यास नही होता। संन्यास का अर्थ होता है आपके अन्दर के षडरिपु से सन्यास ले(काम,क्रोध,लोभ,मोह,मत्सर,मद).

किसी ऐसे आदमी के साथ हमे कभी नही बैठना चाहिए जो सहजयोग की बुराई करता है। सहस्त्रार फौरन पकड़ेगा। एसा आदमी अगर बोले कान बंद कर लीजिये। cancer की बिमारी है वो बिल्कुल सहस्त्रार की बिमारी है।सहस्त्रार एकदम साफ रखे। आज नही तो कल एक साल के बाद आपको पता होगा की साहब हमको cancer हो गया।

क्यों न एसा करे जिससे यह हम व्यर्थ का समय बर्बाद कर रहे है-इसके घर जाये,रिश्तेदार के घर खाना खाये,फला के घर घुसो उसकी बुराई करो-छोड़ छाड़ के अपने मार्ग को ठीक बनाये और येसा जीवन बनाये संसार में उन लोगोंको नाम हो। 

अपने जीवन में एक बार निश्चय कर ले। तब सहजयोग का लाभ हो सकता है आप जानते है।

शरणागति होनी चाहिए। जरुरी नही की मेरे पैर पर आकर।शरणागति मन से होनी चाहिए। बहुत से लोग पैर लर आते है शरणागति बिल्कुल नही होती। शरणागत होना चाहिए। अगर आप शरणागत रहे अन्दर से तो आपकी कुंडलिनी जो है सीधी आत्मतत्व पर टिकी रहेगी। लेकिन शरणागत रहे।

कोई भी चीज महत्वपूर्ण नही है सिवाय आप प्रकाश बने। जिनको बेकार की चीज सूझती है उनके लिए बेहतर होगा आप उस चीज को छोड़ दे।

अब आखरी बात बताऊँगी। उसको आप बहुत समझकर और विचारपूर्वक करे।

अपने अन्दर स्वयं ही दृष्ट प्रवृत्तिया है।हमारे अन्दर बहुत सी काली प्रवृत्तिया जिसे हम नकारत्मकता कहते है उससे हमे बचना चाहिए। अगर आप शैतान बनाना चाहते है तो बात दूसरी है उसके लिए मै आपकी गुरु नही हूँ। लेकिन अगर आप भगवान बनाना चाहते है तो उसके लिए मै गुरु हूँ। लेकिन शैतान से बचना चाहिए।

पहली चीज है कि अमावस्या कि रात या पूर्णिमा कि रात दायें और बायें पक्ष को प्रभावित होने का भय होता है। दो दिन विशेष कर अमावस्या कि रात्रि को और पूर्णिमा कि रात्रि को बहुत जल्दी सो जाना चाहिए। भोजन करके , फोटो के सामने नतमस्तक होकर , ध्यान करके , चित्त को सहस्त्रार पर रखे तथा बंधन लेकर सो जाएं। इसका अर्थ यह है कि जिस क्षण आप अपने चित्त को सहस्त्रार पर ले जाते है उसी क्षण आप अचेतन में चले जाते है। उस स्थिति में स्वयं को बंधन दे तो आपको सुरक्षा प्राप्त हो जाती है। विशेष रूप से इन दो रातों को। और जिस दिन अमावस्या कि रात्रि हो उस दिन , विशेष कर अमावस्या के दिन , आपको शिवजी का ध्यान करना चाहिए। शिवजी का ध्यान करके , स्वयं को उनके प्रति समर्पित करके सोना चाहिए , और पूर्णिमा के दिन आपको श्री रामचंद्र जी का ध्यान करना चाहिए। उनके ऊपर अपनी नैय्या छोड़कर। रामचन्द्रजी का मतलब है सृजनात्मकता। सारी सृजनात्मक शक्तियां पूरी तरह से उनको समर्पित कर दें। इस तरह से इन दो दिन अपने को विशेष रूप से बचाना चाहिए। 

हालांकि , शुक्ल पक्ष सप्तमी और नवमी को विशेषकर आपके ऊपर हमारा आशीर्वाद रहता है। सप्तमी और नवमी के दिन इस बात का ध्यान रखना कि इन दो दिनों में आपको मेरा विशेष आशीर्वाद मिलता है। सप्तमी और नवमी के दिन जरुर कोई ऐसा आयोजन करना जिसमे आप ध्यान अच्छी तरह से करे। 

किसी ऐसे व्यक्ति से यदि आपका सामना हो जिसे आज्ञा कि पकड़ हो तो तुरंत बंधन ले ले चाहे ये बंधन चित्त से ही क्यों न लेना पड़े। आज्ञा कि पकड़ वाले व्यक्ति से वाद - विवाद न करे। ऐसा करना मूर्खता है। किसी भुत से क्या आप वाद -विवाद कर सकते है ?

जिसका विशुद्धि चक्र पकड़ा है , उससे भी वाद - विवाद नहीं करना चाहिए। सहस्त्रार से पकडे व्यक्ति के पास कभी न जाएं , उससे कोई संभंध न रखे। उसे बताये कि पहले अपने सहस्त्रार को ठीक करो। उसे ये बताने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि 'आपका सहस्त्रार पकड़ा हुआ है इसे ठीक कर दें। ' सहस्त्रार कि पकड़ वाला व्यक्ति यदि आपसे बात करता है , तो उसे बता दिया जाना चाहिए कि वह आपका दुश्मन है , शत्रु है। उस आदमी से बिलकुल उस वक्त तक बात नहीं कि जानी चाहिए जब तक उसका सहस्त्रार पकड़ा है। 

अब रही ह्रदय चक्र कि बात। जिस मनुष्य का ह्रदय चक्र पकड़ा है उसकी सहायता करे। जहाँ तक सम्भव हो उसके ह्रदय को बंधन दें। श्री माताजी के फोटोग्राफ के सम्मुख बैठकर उसका एक हाथ ह्रदय पर रखवाएं। ह्रदय चक्र के विषय में आपको बहुत सावधान रहना चाहिए। कभी भी व्यक्ति को ह्रदय चक्र कि समस्या हो सकती है। अपने ह्रदय चक्र को अवश्य शुद्ध रखें। 

परन्तु बहुत से लोगों में ह्रदय ही नहीं होता। वे इतने शुष्क व्यक्तित्व होते है।

इस तरह रक्षा करने की बात है और जब भी आप बाहर जाए,कभीभी घर से बाहर जाए खुद खुद को पूर्णतया बंधन दे।बंधन में रखे।

जिस व्यक्ति का आज्ञा पकड़ा है उससे विवाद(argument) ना करे। तो क्यों आप भूत से argument कर सकते है। उससे argument नही करना चाहिए जिसका आज्ञा पकड़ा है-पहली चीज।

जिसका विशुध्दी पकड़ा है उससे भी argument नही करना चाहिए।

जिसका सहस्त्रार पकड़ा है उसके तो दरवाजे पर भी खड़ा नही होना चाहिए। जिसका सहस्त्रार पकड़ा है वो आपका दुश्मन है।उसे कहना चाहिए तुम अपना सहस्त्रार ठीक करो।

अब हृदय की बात है जिस मनुष्य का ह्रदय पकड़ा है उसकी मदद करे। जहा तक हो सके उसके हृदय को बंधन डाल दे।

हृदय की समस्या दूसरोंके परेशानी से हो सकती है येसे व्यक्ति को माँ के फोटो के सामने ले आकर ठीक करे।

जिन लोगोंके हृदय शुष्क है उनका आप कुछ नी कर सकते।वो आपके पास आये तो उन्हें कहना चाहिए हठयोग छोडिये सबसे प्यार करे।

किसी भी सहजयोगी को ओने बच्चों को मारना नहीं चाहिए। हाथ नही उठाना चाहिए। किसी से क्रोध नही करना चाहिए। सहजयोगी को क्रोध नही करना चाहिए।

आपको बता होना चाहिए आपकी माँ सबसे प्यार करती है।


अगर आपको नर्क मे जाना है,तो भी व्यवस्था हो सकती है,और अगर आपको परमात्मा के चरण कमलो मे उतरना है,तो भी व्यवस्था हो सकती है।इसलिए जो लोग मुझे परेशान करते है और तंग करते है,मुझे जिन्होने सताया है,ऐसे सब लोगो से मेरा कहना है कि मैने बहुत धैर्य से सबसे व्यवहार किया है,और अब अगर किसी ने मुझे तकलीफ दी तो मै उसे कह दुन्गी तुम्हारा हमारा कोई सम्बध नही,आप यहा से चले जाइये।फिर वो दो चार लात मारते है,इधर-उधर निकलते वक्त अपना गुण दिखाते है।उनके सब गुण दिखते है,लेकिन जो भी है,आपको यह चाहिये आप अपना भला सोचे।अगर वो नर्क की ओर जा रहे है तो आपको उनके गाडी मे बैठने कि जरुरत नही।होन्गे अपना भला करेन्गे।किसी से वादविवाद करने कि जरुरत नही।जो जैसा है वैसा ही रहेगा बहुत मुश्किल से बदलते हे लोग क्योकि वो दृष्ट है।जो अच्छे आदमी होते है वो गलती करते है जल्दी समझ जाते है।जो बुरे आदमी होते है उनका बदलना असंभव-सी बात है।मैने बहुत कोशिश कि है।लेकिन जो जैसा है वो वैसा हि है उसे आप बदल नही सकते।आप किसी भी प्रकार से ऐसे लोगो से सबंध न रखे।क्योकि वो यहॉ पर इसलिए है कि आपकी साधना को नष्ट करे।आप अपनी रक्षा उनसे करे।सहजयोग मे वाईब्रेशन पाये।

हर समय हम आपके साथ है।

जब भी आप अपनी आँखे बंद कर ले उसी वक्त पूर्णशक्ति लेकर "शंख,चक्र,गदा,पदम्,गरुड़ लई धाये" एक क्षण भी विलम्ब नही लगेगा। लेकिन आपको मेरा होना पड़ेगा। ये जरुरी है।

आप मेरे है तो एक क्षण भी मुझे नही लगेगा,मै आपके पास आ जाऊँगी।

सबको परमात्मा सुखी रखे और सुबुध्दी दे। सम्मति से रहो। सम्मति से रहो।।।

जय श्री माताजी

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