जय श्री माताजी
अभी कुछ दिनों से सहज शादियों के बारे में सुन रही थी, तो सोचा कि अपने विचार सामूहिकता के साथ साझा करूँ। हो सकता है ये विचार पूरी तरह से सही ना हो, तो आप भी अपने विचार रख सकते हैं, और मेरी गलतियों को सुधार सकते हैं । ये विचार उन लोगों के लिए शायद ज्यादा लाभकारी हो सकते हैं, जो सालों से अपनी शादी को जोड़े रखने की कोशिश करते हैं और जहां दोनों श्री माताजी को मानते हैं और सहज कार्य भी करते हैं।
ऐसा नहीं है कि हमारे झगड़े बंद हो गए हैं, जैसे ही स्थिति नीचे आती है, जरूर होते हैं। लेकिन जो उनका permanent असर होता है आपसी रिश्ते पर, वह ज्यादा नहीं होता।
करीब 20 वर्षों की शादी के बाद, कुछ चीजें समझ में आई हैं, वो निम्न-प्रकार से है-
1.श्री माताजी ने कई बार कहा है कि इन शादियों से बहुत महान आत्माएं जन्म लेंगी, जो आगे जाकर श्री माताजी के लिए बड़े-बड़े कार्य करेंगी। इसलिए negativities पूरी कोशिश करती हैं कि ये शादियाँ अच्छे से नहीं चले, जिससे या तो वे टूट जाएँ या फिर बच्चों को अच्छा वातावरण ना मिले और वे श्री माताजी के अच्छे यंत्र ना बन सकें।
उदाहरण के तौर पर, जब भी कोई public prog हो, तो हमारा झगड़ा होना निश्चित था या फिर जब हम साकार पूजा के लिए जा रहे होते थे तब हम में से एक स्टेशन से ही वापिस जाने को तैयार रहता था।
2.जो सहज शादियाँ होती हैं, तो पति-पत्नी में जो कमियाँ होती हैं, वो अधिकतर दो छोर होते हैं। जैसे-
a.एक को खर्चा करना पसंद है, तो दूसरा बचत को लेकर चिंतित है।
b.एक खाने के स्वाद को ले कर particular है, तो दूसरे को खाना बनाना आता ही नहीं
c.एक को घूमना अच्छा लगता है, तो दूसरे को बिल्कुल भी नहीं।
सिर्फ इतना ही नहीं, अगर एक बहुत अधिक अति में है, तो दूसरा भी उतने ही अति में होगा और वे एक दूसरे को खींच के संतुलन में लाएंगे।
अतः अगर आप अपने जीवनसाथी को संतुलन में लाना चाहते हैं, तो पहले खुद को भी introspection करके संतुलन में लाना होगा, दूसरा अपने आप आ जाएगा।
3.कुछ लड़ाइयाँ शायद बहुत गंदी भी हो, लेकिन इनका परिणाम अंत में बुरा नहीं हो, इसके लिए मेरे निम्नलिखित सुझाव हैं-
a.Introspection – दूसरों की कमियाँ देखते रहने की बजाय, कोशिश करें कि अपनी कमी देखें और उनको सुधारने का प्रयत्न करें। ये हमेशा शायद संभव ना हो, लेकिन अगर हम लड़ाई के बाद भी ऐसा करें, तो भी परिस्थियाँ सुधरेंगी।
b.Detachment – ये बड़ा ही tricky शब्द है, विशेषकर जीवनसाथी के लिए, क्योंकि पूरा जीवन तो उसी व्यक्ति के साथ गुजारना है, उसी से प्रेम की आकांक्षा है और दुख में उसी का सहारा होगा, अगर detach हो गए तो काम कैसे चलेगा।
Detach होने से काम चले ना चले, एक चीज जरूर आ जाएगी, दूसरे की उन आदतों पर reaction जरूर खत्म हो जाएंगे, और अपने अंदर शांति आ जाएगी। और ये तो हमने ना जाने कितने lectures में सुना है कि जब हम detach हो जाते हैं, तो गण उस कार्य को करते हैं।
एक उदाहरण देती हूँ, मेरे पति जब job से वापिस आते थे, उनके footsoak को ले कर हमारा झगड़ा हो जाता था। फिर एक दिन मैंने introspection किया कि माँ तो कहती है, जब पति काम से थक कर आए तो प्रेम से बात करो, मैं रोज झगड़ा करती हूँ। अगर किसी और का पति ऐसे करता तो क्या मैं उस पर गुस्सा करती? नहीं, मैं नहीं करती। लेकिन क्योंकि मुझे मेरे पति से attachement है, इसलिए मैं ऐसा करती हूँ, तो मैंने उसी दिन जा कर shoebeating करी, अपने पति की नहीं, बल्कि अपने पति से अपने attachment की ।
मेरी स्थिति बहुत अच्छी हो गई, नहीं तो उनके office से आते ही मेरी स्थिति खराब हो जाती थी। 2-3 बाद उनको मैंने बताया, तो वे कहते हैं, अब मुझे समझ में आया कि office से आते ही मेरी स्थितिइतनी खराब क्यों हो जाती है कि मुझे footsoak करना ही पड़ता है। 😂
4. लेकिन introspection करना और detach होना आसान नहीं होता। इसलिए कुछ चीजें आपसे साझा कर रही हूँ, जो हमने इन वर्षों में इन लड़ाइयों से ऊपर उठने के लिए किया है, वो निम्न-प्रकार से है-
a.Footsoak- स्वयं रोज footsoak करें। दूसरा अगर नहीं कर रहा है, तो श्री माताजी से प्रार्थना करें।
b.Treatment- अपने चक्रों के लिए सावधान रहे, अगर कोई चक्र ज्यादा पकड़ रहा है या बार-बार पकड़ रहा है, तो उसका treatment जो भी श्री माताजी ने बताया है उसे जरूर करें। बहुत से लोग आलस करते हैं candelling, shoebeating, अल्लाह हु अकबर, मटका, paper burning, camphoring इत्यादि करने में।
आलस ना करें। ये हथियार हैं जो श्री माताजी ने ही बताए हैं, इनका उपयोग जरूर करें।
c.Mother’s Lectures - श्री माताजी की speeches नियमित रूप से सुने। अधिकतर उनमें हमारे introspection के लिए जरूर कुछ कहा होता है, हमें अपने लिए सुनना है, न कि दूसरे के लिए।
d.Vibration Exchange – एक दूसरे को अक्सर vibrations दें, head massage करें। जो left-sided होता है, उसे सहायता की जरूरत होती है, और right-sided वाले को दूसरे की मदद करनी चाहिए।
e. Health centre ज़रूर जाएँ, मैंने देखा कि जब बहुत देर हो जाती है, बुरे विचार मन में घर कर लेते हैं, तब लोग health centre जाते हैं, divorce से एकदम पहले last chance की तरह। नहीं, शुरू से ही जाएँ, चाहे तो हर वर्ष जाएँ, एक बार जाने से कुछ नहीं होगा। और आने के बाद भी अपने ऊपर मेहनत करनी होगी।
ध्यान सर्वोपरि है, लेकिन ध्यान लगेगा ही नहीं तो कैसे काम चलेगा। ये सब चीज़े ध्यान में जाने में सहायक होंगी।