हनुमान जी जितने शक्तिमान थे, जितने गुणवान थे, उतने ही वो श्रद्धामय और भक्तिमय थे, हनुमान जी एक विशेष देवता हैं, एक विशेष रूणधारी देवता हैं, जितने वो बलवान थे,जितने वो शक्तिशाली थे, जितनी शक्ति थी, उतनी ही उनके अंदर भक्ति थी, ये संतुलन उन्होंने किस प्रकार पाला और उसमें रहे, ये एक बड़ी समझने की बात है, उनके अंदर दैवीय शक्तियां थी, उनके अंदर नवधा शक्तियां थी, ये सारी शक्तियां उन्होंने भक्ति से पायी थी, इसका मतलब है कि भक्ति और शक्ति दोनों एक ही चीज हैं।
प्रत्येक मनुष्य के शरीर में जन्म से ही एक सूक्ष्म तंत्र होता है। जिसमें तीन नाड़ियां,सात चक्र और परमात्मा की दी हुई शक्ति विद्यमान है। परमात्मा की यही शक्ति जो कि कुंडलिनी शक्ति के नाम से जानी जाती है,हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग में सुप्त अवस्था में रहती है। श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा सहजयोग के माध्यम से कुंडलिनी शक्ति की जागृति सहज में ही हो जाती है,और मनुष्य योग अवस्था को प्राप्त करता है।
Wednesday, February 2, 2022
Shri Hanuman & Shri Ganesh Shaktis - Hindi Article
बजरंगबली और श्री गणेश आपके साथ खड़े हैं, सहजयोगियों को संहार करने की जरूरत नहीं है, किसी का संहार करने की जरूरत नहीं है, बस आप ये सोच लीजिये कि आपके साथ ये दोनों हर पल हर क्षण हैं, जब भी आपको कोई परेशान करे, तंग करे तो साक्षात् ये दोनों आपके साथ खड़े हैं, सहजयोगियों की Security उनके साथ ही चलती है और दूसरी Security जो चलती है वो है गणों की, ये गण श्री गणेश को आपके बारे में सारी खबर देते हैं।
परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी
श्री हनुमान पूजा
31 मार्च 1999
पुणे
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